'सामाजिक दबाव में होते हैं ऑनर किलिंग'
वैज्ञानिक प्रगति और सामाजिक जागरुकता के बावजूद हमारे देश के कुछ हिस्सों में परिवार के सम्मान के नाम पर हत्या (ऑनर किलिंग) जैसे अपराध आज भी हो रहे हैं, जो चिन्ता का विषय है। पिछले लगभग पंद्रह साल के...
वैज्ञानिक प्रगति और सामाजिक जागरुकता के बावजूद हमारे देश के कुछ हिस्सों में परिवार के सम्मान के नाम पर हत्या (ऑनर किलिंग) जैसे अपराध आज भी हो रहे हैं, जो चिन्ता का विषय है।
पिछले लगभग पंद्रह साल के इतिहास पर नजर डालने पर पता लगता है कि ऑनर किलिंग कुछ क्षेत्रों में अधिक हो रही है और इनके लिए खाप पंचायतों को दोषी ठहराया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि ऑनर किलिंग कुछ क्षेत्र विशेष में ही क्यों हो रही है और क्या वास्तव में इसके लिए खाप पंचायतें ही दोषी हैं. जो विगत वर्षों में समाज सुधार के लिए जानी जाती थीं। खाप पंचायतों ने देश में कई बड़ी पंचायतें की हैं और समाज तथा देश के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
इन पंचायतों ने दहेज लेने और देने वालों को बिरादरी से बाहर करने और छोटी बारात लाने जैसे फरमान जारी किए तथा जेवर और पर्दा प्रथा को खत्म किए जाने जैसे सामाजिक हित के निर्णय भी लिए। युद्ध के समय में भी खाप पंचायतों ने देशभक्ति की मिसाल कायम की है और प्राचीन काल में युद्ध के दौरान राजाओं और बादशाहों की मदद की है।
खाप पंचायत पहली बार महाराजा हर्षवर्धन के काल में 643 ईस्वी में अस्तित्व में आई। प्राचीन काल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर जिले का व्यक्ति ही इस पंचायत का महामंत्री हुआ करता था। गुलामी के समय में भी सबसे बड़ी खाप पंचायत मुजफ्फरनगर की ही हुआ करती थी। सर्वखाप का उदय पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा की खाप पंचायतों से मिलकर हुआ है।
वैसे देखा जाए तो देश में परिवार की इज्जत के नाम पर कत्ल की पुरानी परंपरा रही है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश इनमें सबसे आगे हैं। ऑनर किलिंग के ज्यादातर मामलों में लड़के-लडकी का एक ही गोत्र (सगोत्र) में विवाह करना एक कारण रहा। अंतर्जातीय प्रेम विवाह इस अपराध की दूसरी वजह रही।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो एक गोत्र में विवाह से विकृत संतान के जन्म लेने की आशंका रहती है, लेकिन इससे पंचायतों को यह अधिकार नहीं मिल जाता कि वह अपने फरमान से प्रेमी युगल को इतना विवश कर दें कि वह आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाए या समाज उन्हें इज्जत के नाम पर मौत के घाट उतार दे।
संवेदनशील सामाजिक मुद्दा होने के कारण सरकार इन मामलों में हस्तक्षेप करने से कतराती रही है। लेकिन अब खाप पंचायतें भी इस संदर्भ में कानून की जरूरत महसूस कर रही हैं। इसलिए वे राजनीतिक दलों पर दबाव बनाकर सरकार से गुजारिश कर रही हैं कि वह इस संदर्भ में कानून में बदलाव लाएं।
हालांकि कानून के साथ जरूरत इस बात की भी है कि समाज अपनी मानसिकता में बदलाव लाए और ऑनर किलिंग के लिए जिम्मेदार कारणों में एक भ्रूण हत्या जैसे अपराधों पर रोक लगाई जाए, जिनकी वजह से इन क्षेत्रों में लिंग अनुपात कम होता जा रहा है।