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जरदारी ने भ्रष्टाचार केस में मलिक को दिया क्षमादान

पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अपने निकटतम सहयोगी और देश के गृह मंत्री रहमान मलिक को भ्रष्टाचार के दो मामलों में मिली कैद की सजा पर क्षमादान दे दिया है। उल्लेखनीय है कि जरदारी ने मलिक को...

जरदारी ने भ्रष्टाचार केस में मलिक को दिया क्षमादान
एजेंसीTue, 18 May 2010 02:19 PM
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पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अपने निकटतम सहयोगी और देश के गृह मंत्री रहमान मलिक को भ्रष्टाचार के दो मामलों में मिली कैद की सजा पर क्षमादान दे दिया है।

उल्लेखनीय है कि जरदारी ने मलिक को यह क्षमादान एक पाकिस्तानी अदालत के मलिक की कैद के खिलाफ दायर अपील को खारिज किए जाने के फैसले के कुछ ही समय के भीतर दिया है। राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा कि जरदारी ने अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मलिक की कैद की सजा को माफ कर दिया है।

बाबर ने कहा कि मलिक को यह क्षमादान प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के साथ चर्चा के बाद संविधान की धारा 45 के तहत दिया गया है और इसको सोमवार देर रात को प्रस्तुत किया गया। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी संविधान की धारा 45 के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह किसी अदालत के फैसले को खत्म, निलंबित या बदल सकता है। मलिक पर जरदारी का यह फैसला कल देर रात किया गया है।

राष्ट्रपति के बेहद करीबियों में से एक मलिक फिलहाल देश से बाहर हैं और अपुष्ट खबरों में ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि जबतक उन्हें जेल के फैसले पर कोई ठोस कदम नहीं उठा लिया जाता, तबतक वह लौटकर पाकिस्तान नहीं आएंगे। इस मामले की सुनवाई करते हुए लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ख्वाजा मुहम्मद शरीफ की अगुवाई में दो न्यायाधीशों की खण्डपीठ ने मलिक की कैद के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए उन्हें तीन तीन साल की दो कैद की सजा को बरकरार रखा।

लाहौर उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद मलिक पर उच्चतम न्यायालय की शरण लेने से पहले अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव बेहद बढ़ गया था। गौरतलब है कि मलिक को भ्रष्टाचार विरोधी अदालत ने 2004 में कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले पर मलिक ने सफाई देते हुए पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ पर आरोप मढ़ा कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है। मलिक पर आरोप था फेडरल जांच एजेंसी के छापे के दौरान 90 के दशक में सात लाख रुपये बरामद हुए थे। साथ ही उन्होंने घूस के तौर पर दो लक्जरी कारें और 20 तोला सोना भी ग्रहण किया था।

इस मामले में भ्रष्टाचार विरोधी अदालत के फैसले के खिलाफ मलिक ने लाहौर उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार विरोधी अदालत के फैसले को निंलबित करते हुए मलिक को जमानत दे दी थी। वहीं कल हुई इस मामले की सुनवाई में मलिक के वकील ने अदालत के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल को अदालत में पेश होने के लिए कोई नोटिस नहीं मिला था। उनके वकील ने कहा कि मलिक की अनुपस्थिति में दिया गया अदालत का यह फैसला अवैध है और अदालत को मलिक के खिलाफ सजा को रोक देना चाहिए। इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च न्यायालय के इस फैसले पर मलिक को गिरफ्तार किया जा सकता है।

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