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मंदिर मसले पर भाजपा और एनडीए में घमासान

भारतीय जनता पार्टी में राम मंदिर को लेकर नागपुर से उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी के अंदर इस मसले को लेकर खींचतान तो बनी ही हुई है। एनडीए के घटक दल भी इस मसले पर अपने को असहा महसूस कर...

 मंदिर मसले पर भाजपा और एनडीए में घमासान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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भारतीय जनता पार्टी में राम मंदिर को लेकर नागपुर से उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी के अंदर इस मसले को लेकर खींचतान तो बनी ही हुई है। एनडीए के घटक दल भी इस मसले पर अपने को असहा महसूस कर रहे हैं। जेडीयू तो इस मसले पर अंदरखाने काफी नाराज है। जेडीयू के सूत्र बताते हें कि इस मुद्दे पर भाजपा की इतनी थू-थू हो चुकी है, बावजूद इसके वह चुनाव से पहले इस मरे हुये मुद्दे को बाहर कर देती है। जेडीयू प्रवक्ता और पूर्व सांसद के. सी. त्यागी ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि एनडीए में भाजपा के राम मंदिर, धारा 370 और यूनीफार्म सिविल कोड का प्रवेश वर्जित है। यदि राम मंदिर को भाजपा एनडीए के नेशनल एजेन्डे में लाने की कोशिश करगी तो हम ऐसा होने नहीं देंगे। वहीं पंजाब के उपमुख्यमंत्री और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि राम मंदिर भाजपा का अपना एजेन्डा हो सकता है, वह एनडीए का एजेन्डा नहंी हो सकता है। भाजपा के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर के मुद्दे को फिर से उछालने के पक्ष में नहीं थे। वे इस बात से परिचित हैं कि यदि पार्टी इस मुद्दे पर ज्यादा आग्रह करगी तो एनडीए के सहयोगी भड़क उठेंगे। बावजूद इसके राम मंदिर मुद्दे को अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नागपुर की राष्ट्रीय परिषद में जोर शोर से उठाया। दबाव में आडवाणी को भी मुद्दे पर सावधानी से मुहर लगानी पड़ी। पार्टी में इस मुद्दे को लेकर भी अंदरूनी घमासान मचा हुआ है। एनडीए घटक दलों के दबाव में पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि अयोघ्या में भव्य राम मंदिर निर्माण पार्टी का संकल्प है, चुनावी एजेन्डा नहीं। उन्होंने यह कहने में भी गुरा नहीं किया कि पार्टी इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल नहीं करगी। वहीं दूसरी और घोषणा पत्र निर्माण करने वाली कमेटी के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी के करीबी सूत्रों ने बताया कि घोषणा पत्र में राम जन्म भूमि और रामसेतु दोनों ही मुद्दों को उनके महत्व के अनुसार स्थान दिया जायेगा। सूत्रों ने खुलासा किया कि इस मसले पर जोशी से वरिष्ठ नेताओं ने चर्चा कर मुद्दे को चलताऊ ढंग से रखने की बात कही थी। लेकिन जोशी इस पर नहीं माने और उन्होंने घोषणा पत्र में मुद्दे के महत्व के अनुसार उसे स्थान देने के लिये दबाव बनाया। याद रहे कि राम जन्म भूमि से लेकर रामसेतु मुद्दे पर जोशी संसद से लेकर प्रधानमंत्री को समय-समय पर पत्र लिखते रहे हैं।

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