रेगिस्तान में पतंग जैसी रेखाओं का खुला रहस्य
रेगिस्तानी इलाकों में पाई जाने वाली पंतग जैसी रेखाओं की सदियों पुरानी गुत्थी को शोधकर्ता अंतत: सुलझाने में सफल हो गए हैं। एक नए अध्ययन में पता चला है कि पश्चिम एशिया के कई देशों में पाई जाने वाली कम...
रेगिस्तानी इलाकों में पाई जाने वाली पंतग जैसी रेखाओं की सदियों पुरानी गुत्थी को शोधकर्ता अंतत: सुलझाने में सफल हो गए हैं।
एक नए अध्ययन में पता चला है कि पश्चिम एशिया के कई देशों में पाई जाने वाली कम ऊंचाई की दीवार का मकसद हिरण और अन्य वन्य जीवों का शिकार करना था। ऐसी ही 16 पतंग जैसी रेखाएं पूर्वी सिनाई रेगिस्तान में पायी गई हैं।
इन अनजान रेखाओं को सबसे पहले ब्रितानी पायलटों ने बीसवीं सदी के प्रारंभ में इस्राइल, जॉर्डन, और मिस्र के रेगिस्तान में देखा था। डिस्कवरी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक यह लकीरें करीब 2300 वर्ष पुरानी हैं। जॉर्डन के कुछ इलाकों में ये रेखाएं करीब 40 मील लंबी हैं।
एक शोधकर्ता बेन-गुरिअन के यूजी अवनर ने कहा कि शोध से पता चला है कि पतंग जैसी आकृतियों का निर्माण उम्मीद से ज्यादा परिष्कृत है और पहले के अनुमान की तुलना में इसका इस्तेमाल काफी विस्तृत है।
उन्होंने कहा, हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सभी पतंग जैसी दिखने वाली रेखाओं का निर्माण शिकार के लिए किया गया था। इससे पहले इस बारे में कई अन्य अनुमान लगाए जा रहे थे।
इस्राइल के हाफिया विश्वविद्यालय के एक अन्य शोधकर्ता ने कहा, शिकार की अवधारणा सबसे ज्यादा स्वीकार्य है और ऐसा लगता है कि इन रेखाओं में से ज्यादातर का इस्तेमाल किया जाता था। लकड़ी या पत्थर से बनी रेखाएं पूरे उपमहाद्वीप में हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि यह निर्माण इतना ऊंचा नहीं है जिससे कि पशुओं को रोका जा सके। इनकी सावधानीपूर्वक की गई जांच से पता चलता है कि ये एक विशेष तरह के पशुओं को पकड़ने के लिए बनाई गई थीं। बीसवीं शताब्दी के पहले यह इलाका विभिन्न प्रजातियों का घर था।