स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन से होगा जीएसएलवीडी-3 का प्रक्षेपण
भारत स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक रॉकेट प्रौद्योगिकी की मदद से 15 अप्रैल को जीएसलएलवी डी-3 का प्रक्षेपण करने जा रहा है, जिससे भारत इस प्रौद्योगिकी को रखने वाला दुनिया के गिने चुने पांच देशों की...
भारत स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक रॉकेट प्रौद्योगिकी की मदद से 15 अप्रैल को जीएसलएलवी डी-3 का प्रक्षेपण करने जा रहा है, जिससे भारत इस प्रौद्योगिकी को रखने वाला दुनिया के गिने चुने पांच देशों की विशिष्ट कतार में शामिल हो जाएगा।
सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एमसी दाथन ने संवादाताओं से कहा कि निश्चित रूप से यह कई रूप में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मील का पत्थर है। इससे हमारी क्षमता साबित होती है और किसी भी चुनौती का सामना करने में हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रक्षेपण यान जीएसएलवी डी-3 गुरुवार को दोपहर चार बजकर 27 मिनट पर 2220 किलोग्राम के संचार उपग्रह जीसैट-4 के साथ रवाना होगा। इसके सात साल तक सक्रिय रहने का अनुमान है।
यह पहला मौका होगा जब स्वदेश में तैयार क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा। दो टन से अधिक वजन वाले संचार उपक्रमों को कक्षा में स्थापित करने में यह प्रौद्योगिकी अहम है। भारत को क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी देने से इनकार कर दिए जाने के 19 साल बाद यह प्रौद्योगिकी साकार हो सकी है।
दाथन ने कहा कि 1992 में भारत ने रूस से क्रायोजेनिक प्रौद्योगिक हासिल करने की कोशिश की थी। लेकिन अमेरिकी दबाव और प्रमुख शक्तियों की संवदेनशील प्रौद्योगिकी संबंधी नीति के कारण वह कोशिश मूर्त रूप नहीं ले सकी।
उन्होंने कहा कि विगत में हमने रूस से पूर्ण क्रायोजेनिक इंजन खरीदे और उनमें से पांच का उपयोग जीएसएलवी मिशनों में किया गया। लेकिन यह महसूस किया गया कि स्वदेशी क्षमता विकसित किया जाना महत्वपूर्ण है क्योंकि अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी अहम है।
प्रौद्योगिकी को तमिलनाडु में महेंद्रगिरी स्थित इसरो के एलपीएससी केंद्र के वैज्ञानिकों के एक दल ने विकसित किया है। इस प्रौद्योगिकी के साथ ही भारत अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और चीन के क्लब में शामिल हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह प्रक्षेपण काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने जा रहे हैं। ऐसे में इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ रहे।