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जनता के पैसे का दुरुपयोग

घिनौना कृत्य श्रीराम सेना के अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक को यह समझना होगा कि उन्होंने जिन महापुरुष के नाम पर अपनी सेना गठित की है, अपने कृत्यों के द्वारा वे भगवान पुरुषोत्तम श्रीराम को अप्रिय कर गए।...

 जनता के पैसे का दुरुपयोग
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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घिनौना कृत्य श्रीराम सेना के अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक को यह समझना होगा कि उन्होंने जिन महापुरुष के नाम पर अपनी सेना गठित की है, अपने कृत्यों के द्वारा वे भगवान पुरुषोत्तम श्रीराम को अप्रिय कर गए। अगर वास्तव में प्रमोद मुतालिक के मन में भगवान श्रीराम के लिए थोड़ा सा भी आदर एवं श्रद्धा है तो उन्हें इस तरह के कृत्यों से बाज आना चाहिए। जकिया परवीन, ओखला, नई दिल्ली समस्या पर नार आज छोटे-छोटे गांवों तथा शहरों में रहने वाले ये साधारण से कलम के सिपाही ऐसी कई समस्याओं को समाज और सरकार के सामने लाने का काम कर रहे हैं, जिन पर प्रशासन का ध्यान विरले ही जा पाता है। बेशक ये पत्र लेखक किसी समस्या का पूर्णत: निराकरण न करा पाते हैं, किन्तु शांत पड़े समस्यारूपी समुद्र में छोटे-छोटे पत्र-रूपी कंकड़ मार जल को तरंगित करके नीर को सड़ांध से बचाने का महत्वपूर्ण कार्य तो करते ही हैं। हमें आशा है कि ‘हिन्दुस्तान’ द्वारा दिया जाने वाला यह प्रोत्साहन रूपी ईंधन छोटे-छोटे दीपकों (लेखकों साहित्यकारों) को बुझने नहीं देगा। नवल किशोर सिंह, बुराड़ी, दिल्ली कवि प्रदीप की याद कवि प्रदीप जी और प्रेम धवन जी को याद दिलाने वाले लेख ‘वतन ही था जिनका पहला प्यार’ के लिए धन्यवाद। पर इस लेख में एक कमी रह गई। कवि प्रदीप जी द्वारा रचित 1में ‘सुनो सुनो ऐ दुनिया वालों बापू की ये अमर कहानी’ का उल्लेख नहीं हुआ। कवि प्रदीप जी की ये सर्वाधिक लोकप्रिय और लम्बी रचना है, जिसे मोहम्मद रफी जी ने बहुत ही भावात्मक सुरों में गाया है और आज भी भुलाए नहीं भूलती। ओमप्रकाश, रामप्रस्थ, गाजियाबाद सीबीआई: साख पर आंच देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा सीबीआई को मुलायम प्रकरण में जांच निष्कर्ष को पलटने और राजनीतिक प्रभाव में आने के कारण कड़ी फटकार लगाना शर्मनाक स्थिति की द्योतक तो है ही साथ ही इसकी भी पुष्टि है कि भ्रष्टाचार का संस्थाकरण हो रहा है। सीबीआई देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी है। इससे निष्पक्षता की उम्मीद की जाती है। हमार जनप्रतिनिधि ही जब अपनी बनाई आचार-संहिताओं की धज्जियां उड़ा देते हैं तो प्रशासनिक व्यवस्था में चमत्कारी ढंग से निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जा सकती है? हर्षवर्धन कुमार, विजय नगर, दिल्ली

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