तिवारी की बढ़ीं मुश्किलें, डीएनए परीक्षण पर अदालत ने मांगी प्रतिक्रिया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनडी तिवारी की परेशानियों में इजाफा करते हुए वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता को इस बात पर प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया कि उनके जैविक पुत्र का दावा करने वाले व्यक्ति द्वारा लगाये...
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनडी तिवारी की परेशानियों में इजाफा करते हुए वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता को इस बात पर प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया कि उनके जैविक पुत्र का दावा करने वाले व्यक्ति द्वारा लगाये आरोपों के निर्धारण के लिए उनका डीएनए परीक्षण क्यों नहीं कराया जाए।
अदालत ने संकेत दिया कि 84 वर्षीय नेता को संभवत: पितृत्व विवाद में लगाये आरोपों को आधारहीन साबित करने के लिए डीएनए परीक्षण कराना पड़ सकता है।
इसके अलावा, अदालत ने 100 से भी अधिक तस्वीरों के संबंध में अलग-अलग प्रतिक्रिया मांगी है जिसमें तिवारी को युवक रोहित शेखर के जन्म के बाद विभिन्न मौकों पर उसकी मां के साथ दिखाया गया है।
अदालत ने प्रतिक्रिया के लिए तिवारी को चार सप्ताह का समय देते हुए कहा कि अगर तिवारी प्रतिक्रिया देने में विफल रहे तो उन्हें निजी तौर पर अदालत के समक्ष पेश होना पड़ेगा।
न्यायमूर्ति जे आर मिडढा ने कहा कि इस विवाद को केवल तस्वीरों और डीएनए परीक्षण के जरिये हल किया जा सकता है। अगर तिवारी तस्वीरों के बारे में जानकारी नहीं देते तो अदालत आपसे निजी तौर पर सवाल जवाब करेगी। अगर आप तस्वीरों के बारे में जानकारी देंगे तो आधा विवाद खुद ही हल हो जाएगा।
अदालत ने कहा कि उन्हें हर तस्वीर को लेकर जवाब देने का निर्देश दिया गया है। साथ ही उन्हें डीएनए परीक्षण कराने के आवेदन का भी जवाब देने को कहा गया है। अगर उन्होंने चार सप्ताह में ऐसा नहीं किया तो उन्हें अदालत में पेश होना पड़ेगा।
अदालत ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री का नाती होने का दावा करने वाले शेखर द्वारा दायर पितत्व याचिका पर यह आदेश जारी किया। शेखर ने दावा किया है कि उसकी मां उज्ज्वला शर्मा और तिवारी के बीच संबंधों के चलते उसका जन्म हुआ हालांकि कांग्रेस नेता और आंध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल ने इस आरोप से इंकार किया है।
तिवारी के वकील ने इस संबंध में कोई आदेश पारित नहीं करने का आग्रह किया लेकिन अदालत ने तिवारी को चार सप्ताह के भीतर प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया।