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सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देगी नलिनी

राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी तमिलनाडु सरकार के फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती देगी। सरकार ने हाल ही में नलिनी की समय पूर्व रिहाई की याचिका को खारिज कर दिया...

सरकार के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देगी नलिनी
एजेंसीWed, 31 Mar 2010 11:30 AM
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राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी तमिलनाडु सरकार के फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती देगी। सरकार ने हाल ही में नलिनी की समय पूर्व रिहाई की याचिका को खारिज कर दिया था।
   
नलिनी ने अपने इस फैसले से अपने वकील पी पुगाक्षेंधी को अवगत कराया। पुगाक्षेंधी ने मंगलवार शाम नलिनी से उच्च सुरक्षायुक्त महिला विशेष बंदीगृह में मुलाकात की थी। सरकार के इस फैसले के बाद नलिनी से मिलने वाले पुगाक्षेंधी पहले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि नलिनी को इस फैसले से आघात पहुंचा है।

वकील का दावा है कि हालांकि बंदी परामर्श बोर्ड (पीएबी) समिति के सदस्यों ने नलिनी की समयपूर्व रिहाई के निवेदन पर उसके पक्ष में रिपोर्ट दी थी, लेकिन सरकार ने रोयापेट्टा पुलिस थाने की रिपोर्ट पर ध्यान दिया। पुलिस थाने ने आशंका व्यक्त की थी कि अगर नलिनी रिहा हो जाएगी, तो इलाके में नियम-कानून की स्थिति बिगड़ जाएगी।
   
पुगाक्षेंधी ने कहा कि हालांकि नलिनी की मां और भाई उस इलाके में लगभग एक दशक से रह रहे हैं, लेकिन अब तक वहां नियम-कानून की कोई समस्या नहीं आई।

पुगाक्षेंधी ने बताया कि नलिनी का मानना है कि सरकार का उसकी याचिका खारिज करने के लिए सिर्फ एक इंस्पेक्टर की रिपोर्ट पर पूरी तरह विश्वास करना ठीक नहीं है।
   
नलिनी और 25 अन्य आरोपियों को एक विशेष अदालत ने राजीव गांधी हत्या मामले में जनवरी 1998 में मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी और तीन अन्य आरोपियों की मौत की सजा को कायम रखा था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने 24 अप्रैल, 2000 को एक क्षमा याचिका पर सुनवाई करते हुए नलिनी की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी नलिनी की बेटी की समस्या को देखते हुए उसकी सजा कम करने का पक्ष लिया था। अधिकारियों ने समयपूर्व रिहाई की नलिनी की एक याचिका को इसके पहले अक्टूबर, 2007 में भी खारिज कर दिया था।
   
पुगाक्षेंधी ने कहा कि नलिनी सरकार के फैसले से व्यथित है और उसे इससे आघात पहुंचा है। उसे पीएबी से उसके पक्ष में रिपोर्ट आने की आशा थी।

तमिलनाडु सरकार ने पीएबी की रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद 24 मार्च को अपने आदेश में नलिनी की समयपूर्व रिहाई की याचिका को खारिज कर दिया था।
 

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