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गुजरात व आंध्र प्रदेश में बाल विवाह के सर्वाधिक मामले

देश भर में गुजरात और आंध्रप्रदेश बाल विवाहों के मामलों में सबसे ऊपर रहे हैं। कुल मामलों के लगभग 40 फीसदी मामले इन दोनों राज्यों में ही दर्ज हुए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉडर्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के...

गुजरात व आंध्र प्रदेश में बाल विवाह के सर्वाधिक मामले
एजेंसीTue, 30 Mar 2010 01:39 PM
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देश भर में गुजरात और आंध्रप्रदेश बाल विवाहों के मामलों में सबसे ऊपर रहे हैं। कुल मामलों के लगभग 40 फीसदी मामले इन दोनों राज्यों में ही दर्ज हुए हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉडर्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी वर्ष 2008 में बाल विवाह का एक मामला दर्ज हुआ। दिल्ली में पिछले एक दशक में ऐसा यह दूसरा मामला है। इसके पहले यहां एक ऐसा मामला 2003 में दर्ज हुआ था।

देश भर में 2008 में बाल विवाह के 104 मामले सामने आए। इनमें से 23 गुजरात के और 19 आंध्रप्रदेश के थे। वर्ष 2007 में आंध्रप्रदेश ऐसे 19 मामलों के साथ पहले और गुजरात 14 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर रहा था। एनसीआरबी के पिछले आंकड़ों के मुताबिक गुजरात इस दशक में हर वर्ष सर्वाधिक बाल विवाह होने वाले प्रदेशों में शामिल रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2008 में कर्नाटक में नौ, बिहार में आठ, पंजाब और पश्चिम बंगाल में छह-छह, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पांच-पांच, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु में चार-चार, राजस्थान में तीन, हिमाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश में दो-दो तथा असम, गोवा और उड़ीसा में एक-एक बाल विवाह के मामले सामने आए।

देश में 'बाल विवाह निरोधक अधिनियम-1929' के तहत बाल विवाह प्रतिबंधित है। इसके अनुसार किसी भी लड़के का 21 वर्ष और लड़की का 18 वर्ष से कम उम्र में विवाह नहीं किया जा सकता। कानूनन बाल विवाह के दोषी अभिभावकों को तीन महीने तक की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई जा सकती है। इसी तरह 18 वर्ष से अधिक और 21 वर्ष से अधिक उम्र के पुरूष के किसी बच्ची से शादी करने पर पुरूष को 15 दिन तक की कैद और 1,000 रूपए तक का जुर्माना या दोनों सजा सुनाई जा सकती है।

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