उन्नाव में बनेगा मैंगो एसईजेड
सूबे के एक लाख हेक्टेयर में फैले आम बागान के मालिकों को जल्द ही विदेशों में छाने के लिए एक और रास्ता मिलने जा रहा है। मलिहाबाद और सहारनपुर आम पट्टी के हाारों बागान मालिक अब परंपरागत रूप के साथ ही कई...
सूबे के एक लाख हेक्टेयर में फैले आम बागान के मालिकों को जल्द ही विदेशों में छाने के लिए एक और रास्ता मिलने जा रहा है। मलिहाबाद और सहारनपुर आम पट्टी के हाारों बागान मालिक अब परंपरागत रूप के साथ ही कई अन्य रूपों में भी विदेशियों के मुँह में स्वाद का जादू घोलने में कामयाब हो सकेंगे। नेल्लोर (आंध्र प्रदेश) की तर्ज पर उन्नाव में भी मैंगो एसईजेड विकसित किया जाएगा। इफ्को के तकनीकी सहयोग से विकसित होने वाले निजी क्षेत्र के इस एसईजेड में आम व इसके उत्पादों का प्रसंस्करण कर पुराने के साथ नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पेश किया जाएगा।ड्ढr उन्नाव में कानपुर-लखनऊ राजमार्ग पर जाजमऊ पुल से कोई आधा किलोमीटर आगे ढाई सौ एकड़ जमीन पर विकसित होने वाले इस एसईजेड में सौ से ज्यादा इकाइयों की स्थापना होगी। एसईजेड के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है। अब सिर्फ इंतजार है केन्द्र की मंजूरी का। इनमें लखनऊ, उन्नाव, हरदोई और रायबरली के साथ सहारनपुर आम पट्टी में पैदा होने वाले दशहरी, चौसा, लंगड़ा और कलमी सहित आधा दर्जन से अधिक किस्मों के आमों को परंपरागत रूप में तो निर्यात किया ही जाएगा, इनके कई अन्य रूप भी विदेशियों को भारतीय आम का दीवाना बनाने के लिए तैयार किए जाएँगे। इन सबमें सहयोग करंगे नीदरलैंड्स के विशेषज्ञ। अब पूरी दुनिया के लोग डिब्बाबंद आम का मजा उसके वास्तविक स्वाद में ले सकेंगे। इफ्को के प्रबंध निदेशक डॉ.उदय शंकर अवस्थी ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि नेल्लोर में देश के पहले किसान एसईजेड के माध्यम से एग्रो एसईजेड की जिस कल्पना को मूर्त रूप दिया गया है वह किसानों की किस्मत बदलने में सक्षम होगा। उन्नाव में स्थापित होने वाले एसईजेड के बार में उन्होने कहा कि इफ्को इसमें हर तरह का सहयोग करगी। तकनीकी सहयोग के साथ विदेशी विशेषज्ञों की मदद भी ली जाएगी, जिससे यहाँ के उत्पाद विदेशों में अपनी धाक जमा सकें। अब भी यूरोप, मिडिल ईस्ट, रूस जसे देशों में इस इलाके से आम का निर्यात हो रहा है। इसके वजूद में आने के बाद कई नए बाजारों में भी इनका जादू चलेगा। चीन में अपने स्वाद का जादू बिखेरने के बाद पिछले साल ही योजना बनाई गई थी कि इस साल से दक्षिण एशियाई देशों में सूबे के आम की आमद धमकदार तरीके से दर्ज कराई जाएगी। ड्ढr