लाखों वोटर लापरवाही के शिकार
लोकतंत्र के महापर्व पर इस बार बिहार में लाखों लोगों को चुनावी महासमर में डुबकी लगाने का मौका तक नहीं मिल पाया। उनकी ‘गलती’ बस इतनी थी कि किसी न किसी वजह से उनका नाम इस महापर्व में शरीक होने वालों...
लोकतंत्र के महापर्व पर इस बार बिहार में लाखों लोगों को चुनावी महासमर में डुबकी लगाने का मौका तक नहीं मिल पाया। उनकी ‘गलती’ बस इतनी थी कि किसी न किसी वजह से उनका नाम इस महापर्व में शरीक होने वालों (वोटरों) की सूची से डिलिट कर दिया गया। किसी के पास पहचान पत्र था तो वोटर लिस्ट से नाम गायब। फोटो खिचवाया लेकिन पहचान पत्र नदारद। कोई जीवित है तो वोटर लिस्ट में उसे मुर्दा बना दिया गया। पति का नाम एक बूथ पर है तो पत्नी का नाम दूसर बूथ पर। किसी-किसी का नाम तो सूची में कई जगहों पर डाल दिया गया। कौन-कहां गया और किसके परिवार को कितने बूथों पर बांट दिया गया यह ढूंढ़ते और पता लगाते ही मतदान का समय बीत गया।ड्ढr ड्ढr अपना प्रतिनिधि चुनने से वंचित रह गए ऐसे हजारों मतदाताओं के अधिकार के हनन का जिम्मेवार कौन है? यह बड़ा सवाल है कि चौथे चरण की वोटिंग के बाद राजधानी पटना में ऐसे वोटरों ने जो पीड़ा झेली है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? ‘हिन्दुस्तान’ हर मामले को गंभीरता से उठाता रहा है। सवाल है कि लाखों वोटरों से खिलवाड़ करने वाला है कौन। या हम खुद की लापरवाह है? बिहार में चार चरणों के चुनाव में खासकर अंतिम चरण में ऐसी गड़बड़ियां चरम पर दिखीं। लोगों की आम शिकायत है कि वोटर लिस्ट बनाने में कोताही बरती गयी है और उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।ड्ढr ड्ढr सूची के शुद्धिकरण के लिए बूथ स्तरीय पदाधिकारियों ने उनकी खोज खबर तक नहीं ली। बिना यह जाने कि वोटर जिन्दा है कि मर गया या फिर यहां रह रहा है या नहीं उसका नाम लिस्ट से छू मंतर कर दिया गया। यह तब हुआ जब राज्य में वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण की प्रक्रिया पर निगाह रखने के लिए आयोग ने 14 वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को ऑब्जर्वर नियुक्त किया था। भारी संख्या में यह भी शिकायत है कि बूथ पर फोटो खिंचवाने के बावजूद उन्हें पहचान पत्र नहीं मिला। निर्वाचन विभाग भी मानता है कि जो लोग संबंधित क्षेत्र के वोटर हैं और वहां रह रहे हैं बावजूद इसके उनका नाम सूची से हटा दिया गया तो यह लापरवाही मानी जाएगी। इस तरह की शिकायतें वोटर सीधे निर्वाचन निबंधन पदाधिकारी (ईआरओ), जो एसडीओ होते हैं के पास कर सकते हैं। निर्वाचन विभाग को अगर शिकायत भेजते हैं तो उसे जिला निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय को भेजा जाएगा। निर्वाचन विभाग के अनुसार 1 जनवरी 200ो प्रकाशित होने वाली मतदाता सूची का प्रारूप 10 नवंबर 2008 को प्रकाशित किया गया। इस पर वोटरों के दावा आपत्ति के लिए 25 नवंबर तक की तिथि निर्धारित की गयी। 10 जनवरी को सूची का अंतिम प्रकाशन किया गया। इस प्रक्रिया के दौरान जिन वोटरों ने संबंधित क्षेत्र के निर्वाचन निबंधन पदाधिकारी, बीडीओ, सीओ या बीएलओ को आवेदन दिया उनका नाम लिस्ट में शामिल किए जाने का प्रावधान है। दरअसल वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने या शुद्ध कराने की प्रक्रिया वर्ष भर चलती है और हर साल 1 जनवरी की तिथि से नए वोटर लिस्ट का प्रकाशन भी होता है। इस प्रक्रिया के लिए कई लोगों को जिम्मेदारी भी सौंपी जाती है। बावजूद इसके वोटर लिस्ट का प्रकाशन भगवान भरोसे ही रहा।