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माओवादियों के खिलाफ बल प्रयोग न्यायोचित अधिकारः चिदंबरम

गृहमंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि माओवादियों के प्रभुत्व वाले इलाकों में फिर से नियंत्रण हासिल करने के लिए जरूरी बल का प्रयोग करने का सरकार का न्यायोचित अधिकार है। केन्द्रीय गृहमंत्री ने...

माओवादियों के खिलाफ बल प्रयोग न्यायोचित अधिकारः चिदंबरम
एजेंसीFri, 12 Mar 2010 02:38 PM
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गृहमंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि माओवादियों के प्रभुत्व वाले इलाकों में फिर से नियंत्रण हासिल करने के लिए जरूरी बल का प्रयोग करने का सरकार का न्यायोचित अधिकार है।

केन्द्रीय गृहमंत्री ने नक्सलवाद को जिहादी आतंकवाद की तुलना में ज्यादा गंभीर समस्या करार देते हुए भारतीय राज्य के खिलाफ जंग की घोषणा करने वाले माओवादियों से प्रभावी रूप में निपटने का संकल्प जताया। चिदंबरम ने कहा कि माओवादियों का लक्ष्य सशस्त्र मुक्ति संघर्ष छेड़ना है और उनका पूरा लक्ष्य सत्ता पर कब्जा करना है।

केन्द्रीय गृहमंत्री ने माओवादियों को वार्ता की सरकार की पेशकश का जिक्र करते हुए कहा कि आखिर माओवादी क्यों हिंसा का परित्याग करने की घोषणा नहीं कर रहे हैं। चिदंबरम ने इंडिया टुडे कनक्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि इन हालात में माओवादियों के प्रभाव वाले इलाकों पर नियंत्रण बहाल करने के लिए जितने बल की जरूरत होगी, सरकार को उसका उपयोग करने का न्यायोचित अधिकार है।

केन्द्रीय गृहमंत्री ने उम्मीद जताई कि दो या तीन साल में एक बार सरकार उन इलाकों पर अपना नियंत्रण बहाल कर लेती है तो वहां विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

चिदंबरम ने उम्मीद जताई कि सरकार कुछ साल में माओवादियों पर अंकुश लगाने में कामयाब हो जाएगी। केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि हमें विश्वास है कि संप्रग का कार्यकाल समाप्त होने से पहले हम नक्सलवादियों से निजात हासिल कर लेंगे और किसी खतरे का सामना करने के लिए अपनी सुरक्षा खासी सुदृढ़ कर लेंगे।

चिदंबरम ने नक्सलवाद को जिहादी आतंकवाद से ज्यादा गंभीर समस्या बताया और इंगित किया कि देश के 200 जिलों में नक्सलवादियों की मौजूदगी है और वे वस्तुत: 35 जिलों को नियंत्रित करते हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने (माओवादियों ने) भारतीय राज्य के खिलाफ जंग की घोषणा की है और वे विकास विरोधी हैं। वे नहीं चाहते कि गरीबों का उत्थान हो या वे आर्थिक आजादी हासिल करें।

चिदंबरम ने कहा कि मानवाधिकार समूह गलत तौर पर सोचते हैं कि नक्सलवादी गरीबों के हिमायती हैं। उन्होंने कहा कि जिहादी आतंकवाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ईर्द-गिर्द केन्द्रित है और बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव को भी प्रभावित कर रहा है। इसलिए, दक्षिण एशिया के देशों को इसपर अंकुश लगाने के लिए मिलजुल कर काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश से उग्रवाद से निबटने के लिए शानदार सहयोग मिल रहा है, लेकिन उन्होंने नेपाल के हाल के घटनाक्रम पर चिंता जताई और कहा कि वहां भारत विरोधी गतिविधियां पनप रही हैं।

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