500 जवानों का पुलिस की नौकरी में नहीं लग रहा दिल,किताबों में कट रही रात
सिटी डीएसपी के कार्यालय में तैनात पुलिस जवान संजीव कुमार ड्यूटी से ऑफ होने के बाद बैरक में किताबों में डूब जाते हैं। देर रात तक वे किताबों में खोए रहते हैं। दरअसल मुंगेर के रहने वाले भागलपुर जिला बल...
सिटी डीएसपी के कार्यालय में तैनात पुलिस जवान संजीव कुमार ड्यूटी से ऑफ होने के बाद बैरक में किताबों में डूब जाते हैं। देर रात तक वे किताबों में खोए रहते हैं। दरअसल मुंगेर के रहने वाले भागलपुर जिला बल के यह जवान सिपाही से अपना ओहदा बढ़ाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में दो साल से लगा हुआ है। इस दौरान उसने अब तक पांच बार आरपीएफ के दारोगा सहित रेलवे में एएसएम आदि की लिखित परीक्षा पास की है। लेकिन इंटरव्यू में वो कामयाब नहीं हो पा रहा है। उसकी तमन्ना है कि वो सिपाही की जगह अफसर बने। भागलपुर जिला में संजीव जैसे ख्वाब देखने वाले एक नहीं बल्कि करीब 500 जवान हैं। जो ड्यूटी के बाद का समय किताबों के साथ बिताते हैं। पुलिस लाइन के गंगा, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, कावेरी सहित कुल छह बैरक में करीब 400 जवान प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।जबकि शेष 100 जवान थानों में या फिर अपने प्रतिनियुक्त जगहों पर तैयारी करते हैं। नवगछिया पुलिस जिला में भी ऐसे जवानों की बड़ी संख्या है। पुरुष जवानों के साथ- साथ महिला जवानों में भी अपना पद बढ़ाने का शौक है। दरअसल 2010 से बिहार पुलिस में सिपाही की बहाली का तरीका बदला है। इसका असर जवानों की पढ़ाई पर भी पड़ा है।
2010 के पहले लिखित परीक्षा नाममात्र की होती थी। लेकिन 2010 से लिखित परीक्षा पास करने के बाद ही जवानों की शारीरिक परीक्षा होती है। भागलपुर जिला में करीब 1600 पुलिसकर्मी हैं। इसमें से 2010 से बहाल जवानों में बड़ी संख्या में स्नातक से लेर एमए तक पास जवान हैं। पढ़े लिखे कई जवानों को सिपाही की नौकरी रास नहीं आ रही है। पूर्व में भी 2010 बैच के एक दर्जन से अधिक जवानों ने सिपाही की नौकरी छोड़कर रेलवे, आरपीएफ एवं अन्य सरकारी संस्थानों में नौकरी हासिल की है।