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धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी रिपोर्ट पर भारत ने जाहिर की तीखी प्रतिक्रिया

भारत ने उस अमेरिकी रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है जिसमें कहा गया है कि 2015 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता नकारात्मक पथ पर रही। भारत ने कहा कि यह भारत, इसके संविधान और इसके समाज की उचित समझ...

धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी रिपोर्ट पर भारत ने जाहिर की तीखी प्रतिक्रिया
एजेंसीTue, 03 May 2016 06:22 PM
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भारत ने उस अमेरिकी रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है जिसमें कहा गया है कि 2015 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता नकारात्मक पथ पर रही। भारत ने कहा कि यह भारत, इसके संविधान और इसके समाज की उचित समझ दिखाने में नाकाम रही है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि सरकार नहीं समझती कि अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) जैसी किसी विदेशी संस्था की ऐसी हैसियत है कि वह भारतीय नागरिकों के संवैधानिक तौर पर संरक्षित अधिकारों की स्थिति पर कोई टिप्पणी कर सके।
 
स्वरूप ने कहा कि हमारा ध्यान अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की उस हालिया रिपोर्ट की तरफ दिलाया गया है, जो एक बार फिर भारत, इसके संविधान और इसके समाज की उचित समक्ष दिखाने में नाकाम रही है।
 
उन्होंने कहा कि भारत एक जीवंत बहुलवादी समाज है जिसका आधार बेहद ठोस लोकतांत्रिक मूल्य हैं। भारतीय संविधान अपने सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है। स्वरूप ने कहा कि सरकार नहीं समझती कि यूएससीआईआरएफ जैसी किसी विदेशी संस्था की ऐसी हैसियत है कि वह भारतीय नागरिकों के संवैधानिक तौर पर संरक्षित अधिकारों की स्थिति पर कोई टिप्पणी कर सके। हम उनकी रिपोर्ट का कोई संज्ञान नहीं लेते।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अमेरिका की उस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे थे जिसमें कहा गया, भारत में साल 2015 में धार्मिक सहनशीलता बदतर हो गई और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बढ़ गया। अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यूएससीआईआरएफ ने भारत सरकार से कहा कि वह ऐसे अधिकारियों और धार्मिक नेताओं को सार्वजनिक तौर पर फटकार लगाएं जो धार्मिक समुदायों के बारे में अभद्र बयानबाजी करते हैं।
 
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया, अल्पसंख्यक समुदायों - खासकर ईसाई, मुस्लिम और सिख - को भय, उत्पीड़न और हिंसा का शिकार होना पड़ा। उनके उत्पीड़न के पीछे प्रमुख रूप से हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों का हाथ था।

यूएससीआईआरएफ ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी भाजपा के सदस्यों ने चुप्पी साधकर इन संगठनों का समर्थन किया और धार्मिक तौर पर बांटने वाली भाषा का इस्तेमाल कर तनाव और बढ़ाने का काम किया है।

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