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धर्म नगरी वृंदावन में आज से नास्तिक सम्मेलन, आक्रोश

धर्मनगरी वृंदावन में शुक्रवार से दो दिनी नास्तिक सम्मेलन होगा। स्वामी बालेंदु के निमंत्रण पर इसमें देश-विदेश के नास्तिक हिस्सा लेंगे। हालांकि इसका तीखा विरोध भी शुरू हो गया है। संतों-महंतों व इमाम ने...

धर्म नगरी वृंदावन में आज से नास्तिक सम्मेलन, आक्रोश
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 13 Oct 2016 11:40 PM
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धर्मनगरी वृंदावन में शुक्रवार से दो दिनी नास्तिक सम्मेलन होगा। स्वामी बालेंदु के निमंत्रण पर इसमें देश-विदेश के नास्तिक हिस्सा लेंगे। हालांकि इसका तीखा विरोध भी शुरू हो गया है। संतों-महंतों व इमाम ने ऐसे आयोजन को निरस्त करने की मांग की है।

वृंदावन परिक्रमा मार्ग स्थित अपने धर्मविहीन आश्रम के अम्माजीज रेस्तरां में गुरुवार को पत्रकार वार्ता में स्वामी बालेंदु ने इसकी नाजकारी दी। बताया कि 14 एवं 15 अक्टूबर को नास्तिक सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। पूर्व आध्यात्मिक गुरु के आह्वान पर नगर में देश-विदेश से एक हजार से अधिक नास्तिक जमा होंगे। फेसबुक के जरिए उन्होंने आयोजन की सूचना दी है। कहा कि समाज में अधंविश्वास और पाखंड फैला है। धर्म और ईश्वर के नाम पर शोषण हो रहा है। निर्धन व्यक्ति को दो जून की रोटी कमाना मुश्किल हो रहा है। वहीं साधु सन्यासी आश्रमों में करोड़ों की सम्पत्ति बनाकर लग्जरी कारों में घूमते हैं।

कहा कि प्रेम, चोरी न करना, झूठ न बोलना धर्म की बपौती नहीं, नैतिक गुण हैं। इसके लिए हिन्दू, मुसलमान, ईसाई होने की आवश्यकता नहीं है। धर्म गुरुओं द्वारा धार्मिक शिक्षा देना अनुचित है। धार्मिक शिक्षा जहर है। स्वामी बालेन्दु और यशेन्दु ने धर्मिक लोगों को ढोंगी बताया। खुले रूप में कहा कि वह तमाम धर्माचार्यों पर अंगुली उठा रहे हैं। आश्रमधारी मठाधीश गरीबों का खून चूस रहे हैं। वृंदावन के कुछ मंदिरों का नाम लेते हुए स्वामी यशोन्दु ने कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं। इनके निर्माण में लगा पैसा यदि वृंदावन में लगाया जाता तो यहां का स्वरूप बदल गया होता। बाबाओं के हाथ में माला की जगह कुदाल, फावड़ा दो, जिससे वे देश के विकास में सहयोग करें।

धर्मग्रंथों को बताया मनोरंजन की किताब

स्वामी बालेंदु ने धार्मिक ग्रंथों को मनोरंजन की किताब बताया। कहा कि सभी अपने समय में उपन्यास और काल्पनिक एवं मनोरंजन का साधन है। कहा कि ईश्वर सबसे बड़ा मिथ्या और अंधविश्वासों का पिता है।

ईमानदार होने की सनक ने नास्तिक बना दिया

वृंदावन। स्वामी बालेन्दु ने कहा कि ईमानदार होने की सनक ने उन्हें आस्तिक से नास्तिक बना दिया। इससे पहले वह धार्मिक आयोजन करते थे। भागवत भी करते थे, जिसमें दस-बीस हजार लोग आते थे। अब यहां नास्तिक सम्मेलन कर रहे हैं। देशभर में मुट्ठीभर नास्तिक लोग हैं। व़ृंदावन में तो वह भी नहीं हैं। यह समय की पुकार है। लोग धर्मांध अराजकता से ऊब चुके हैं। तार्किकता और विवेक सम्मत विचारों में गोलबंद हो रहे हैं।

पिछले साल गुपचुप हुआ था आयोजन

वृंदावन में गत भी वर्ष गुपचुप तरीके से नास्तिक सम्मेलन हुआ था। इसमें 18 राज्यों से 150 नास्तिकों ने सहभागिता की थी। खुले मंच के रूप में पहली बार यह सम्मेलन हो रहा है।

सम्मेलन में होगा पांचाली नाटक का मंचन

वृंदावन। परिक्रमा मार्ग स्थित अम्माजीज में 14 अगस्त को दोपहर दो से शाम छह बजे तक परिचय एवं नास्तिकता पर वार्ताएं होंगी। इसके पश्चात व्याख्यान एवं नास्तिक जीवन दृष्टि पर परिचर्चा की जाएगी। रात आठ बजे पंचायत में पांचाली नाटक का मंचन एवं रात नौ बजे संगीत एवं नृत्य होगा। स्वामी बालेन्दु ने बताया कि 15 अक्टूबर को प्रात: दस बजे बेहतर समाज के लिए नास्तिकता की जरूरत विषय पर परिचर्चा एवं प्रश्नोत्तर, दोपहर दो से पांच बजे तक कविता सत्र। शाम पांच बजे सहभागियों की विदाई होगी।

नास्तिक सम्मेलन को लेकर संत-महंतों में उबाल, प्रदर्शन

वृंदावन। वृंदावन में नास्तिक सम्मेलन को लेकर संत समाज में उबाल है। कुछ समय आयोजन स्थल के बाहर पहुंच कर आयोजनों का विरोध करने लगे और आयोजन ना होने देने की चुनौती दी है। वहीं संतो, महंतों ने परिक्रमा मार्ग में विरोध प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया है।

महंत फूलडोल बिहारी दास महाराज ने कहा कि धर्मनगरी में नास्तिक सम्मेलन नहीं होना चाहिए। यह समाज में दूषिता फैलाने और आस्था के साथ खिलवाड़ करना होगा। इसका हर संभव विरोध किया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर संत समाज और नगरवासी सड़कों पर उतरेंगे। गीता मनीषी महामण्डलेश्वर ज्ञानानन्द महाराज ने कहा कि नगर में नास्तिक सम्मेलन करना दूषित मानसिकता को दर्शाता है। यह आस्था के साथ खिलवाड़ है। वह धार्मिक नगर में नास्तिकता का जहर घोलने का कार्य कर रहे हैं। गीता मनीषी ने उन्हें खुली संतों का सामने शास्त्रार्थ करने की खुली चुनौती दी है और कहा कि ऐसे आयोजनों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं धर्म रक्षा मंच ने दानगली स्थित भागवत वेला में राष्ट्रीय संयोजक आचार्य बद्रीश की अध्यक्षता में बैठक की। इसमें सम्मेलन की निंदा की साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों से आयोजकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

विरोध प्रदर्शन करने वालों में महाण्डलेश्वर नवलगिरि महाराज,आचार्य मृदुलकांत शास्त्री,सौरभ गौड, भगवान दास चौधरी, रविकांत गौतम, मयंक शर्मा, बालो पंडित, श्यामसुन्दर ब्रजवासी, अशोक शर्मा, विनोद अग्रवाल, राजकुमार शर्मा, आचार्य रामनिहोर त्रिपाठी, केशव शर्मा, आनन्द गोपाल मिश्रा, सीताराम शर्मा, गोपेश गोस्वामी, घनश्याम गोस्वामी आदि उपस्थित थे।

संत एवं स्थानीय लोगों ने दी तहरीर

वृंदावन। संतों का एक दल नास्तिक सम्मेलन को लेकर कोतवाली प्रभारी से मिला और आयोजक के विरुद्ध तहरीर दी है। संतों ने अखिल भारतीय चतु: सम्प्रदाय श्रीमहंत ने कोतवाली प्रभारी बताया कि नास्तिक सम्मेलन से धर्म नगरी वृंदावन में व्यापक आक्रोश एवं अशांति भंग और साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति बन गई है। आयोजन की स्वीकृति निरस्त कर कार्यक्रम को रद किया जाए और इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की जाए। तहरीर देने वालों में स्वामी रामदेवानन्द सरस्वती, आचार्य बद्रीश, जयकृष्णदास, नारायणदास यादव, स्वामी नवलगिरी महाराज, उदयन शर्मा, स्वामी देवस्वरूपानन्द, रविकांत गौतम, राजेन्द्र प्रताप सिंह, नागरीदास, केशवदेव शास्त्री आदि शामिल थे।

धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश

वृंदावन। नगर की शाही जामा मस्जिद के इमाम मोहम्मद उमर कादरी ने कहा कि नगर में नास्तिक सम्मेलन और कुरान को मनोरंजन का साधन कहने वाले व्यक्ति की मानसिकता ठीक नहीं है। यह धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश है। ऐसे आयोजन और व्यक्ति पर जिला प्रशासन को रोक लगानी चाहिए।

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