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कॉरपोरेट फर्म के जैसे काम करता था आतंकी मॉड्यूल, खुद को CEO बताता था अशहर दानिश

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के हत्थे चढ़ा संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल कॉरपोरेट फर्म की तरह काम करता था। जांच से पता चला है कि एजेंसियों की नजर से बचने के लिए यह मॉड्यूल आपसी संवाद में कारोबारी भाषा और कोड का इस्तेमाल करता था।

Praveen Sharma हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। रमेश त्रिपाठीFri, 12 Sep 2025 07:25 AM
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कॉरपोरेट फर्म के जैसे काम करता था आतंकी मॉड्यूल, खुद को CEO बताता था अशहर दानिश

केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर पिछले छह महीने से चल रहे ऑपरेशन के दौरान दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के हत्थे चढ़ा संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल कॉरपोरेट फर्म की तरह काम करता था। जांच से पता चला है कि एजेंसियों की नजर से बचने के लिए यह मॉड्यूल आपसी संवाद में कारोबारी भाषा और कोड का इस्तेमाल करता था।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार को अशहर दानिश और कामरान कुरैशी को 12 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया है। पाकिस्तानी आकाओं से मिले पैगाम के आधार पर सरगना अशहर दानिश खुद को ‘सीईओ’ बताकर प्लान तैयार करता था। आपसी बातचीत के लिए बनाई गई आईडी भी ‘कंपनी सीईओ’ के नाम से संचालित होती थी। इसके अलावा जिहादी जत्था तैयार करने, टारगेट तय करने और केमिकल बम से हमले की जिम्मेदारी बांटने के लिए भी अलग-अलग कोड का इस्तेमाल किया जाता था। इस मॉड्यूल में केमिकल बम बनाने वालों का कोड ‘प्रोफेसर’ रखा गया था, जबकि वारदातों को अंजाम देने वाली टीम को ‘टारगेट टीम’ और जिहादी जत्थे में शामिल नौजवानों को ‘ट्रेनी’ कोड दिया गया था।

स्पेशल सेल की टीम अब और कौन-कौन से कोड इस्तेमाल हो रहे थे, इसकी बारीकी से जांच कर रही है। यह पूरा नेटवर्क गजवा-ए-हिंद के तहत टारगेट किलिंग की साजिश रच रहा था। मॉड्यूल के करीबी इसे गजवा लीडर के नाम से भी जानते थे। इस टेरर मॉड्यूल का मास्टरमाइंड झारखंड का रहने वाला अशहर दानिश था, जो इंग्लिश ऑनर्स में पोस्ट ग्रेजुएट है और केमिकल बम बनाने में विशेषज्ञ माना जाता है।

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दानिश खुद को सुरक्षा एजेंसियों से बचाने के लिए ‘सीईओ’ कहलाता था। मॉड्यूल को एक कॉरपोरेट कंपनी की तरह ऑपरेट किया जा रहा था, जिसमें टास्किंग के आधार पर बम बनाना, कारतूस तैयार करना, हथियार हासिल करना और टारगेट किलिंग जैसे काम शामिल थे। इसके अलावा, यह नेटवर्क सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स के जरिये नौजवानों की भर्ती भी करता था। इस मॉड्यूल का उद्देश्य न केवल टारगेट किलिंग करना बल्कि एक बड़ा स्लीपर सेल तैयार करना भी था।

तकनीकी जांच में सामने आया है कि आरोपी एन्क्रिप्टेड प्लैटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे थे, ताकि उनकी गतिविधियों को ट्रैक करना मुश्किल हो। पूछताछ में खुलासा हुआ कि उनके पाकिस्तान से सीधे कनेक्शन थे और वे सोशल मीडिया व एन्क्रिप्टेड ऐप्स के जरिये वहां के हैंडलर्स से संपर्क में थे। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी भारत में धार्मिक उन्माद फैलाने, युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकी नेटवर्क में शामिल करने की योजना पर काम कर रहे थे।

पुलिस के मुताबिक, मॉड्यूल की योजना किसी जगह पर कब्जा कर ‘खिलाफत’ की शुरुआत करने की थी। इसके लिए जमीन की तलाश की जा रही थी और हवाला के जरिए रकम जुटाई जा रही थी। गजवा-ए-हिंद के लिए जिहादी जत्था तैयार करने का मकसद था। स्पेशल सेल यह जांच कर रही है कि फंडिंग कहां से और किसके द्वारा हो रही थी।

दानिश पाक हैंडलर के संपर्क में था

मॉड्यूल का सरगना अशहर दानिश पाकिस्तान के हैंडलर के संपर्क में था, जो उसे हथियार बनाने के तरीके, आईईडी और संबंधित वीडियो भेजता था। पहले कच्चा माल जुटाने के निर्देश मिलते, फिर आईईडी बनाने की योजना बनती। आफताब को हथियार सौंपा गया, जिसे वह दिल्ली लाया, लेकिन कार्रवाई से पहले ही पकड़ा गया। जांच में पता चला कि यह मॉड्यूल 20-25 वर्ष के युवाओं का था, जो सोशल मीडिया पर विचारधारा मिलते ही नए सदस्यों को नेटवर्क से जोड़ते थे।

आफताब के पास टारगेट किलिंग का जिम्मा था

जांच में सामने आया है कि आफताब को टारगेट किलिंग का काम सौंपा गया था। वह हथियार लेकर दिल्ली से मुंबई लौट रहा था, तभी निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के पास उसे और उसके साथी सूफियान को गिरफ्तार किया गया। इनके अन्य साथी कामरान कुरैशी को मध्य प्रदेश के रायगढ़ से और हुजेफा को तेलंगाना के निजामाबाद से दबोचा गया। ये सभी आफताब के साथ टारगेट किलिंग टीम का हिस्सा थे।