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ताहिर हुसैन पर SC में मतभेद वाला फैसला, एक जज जमानत को तैयार; दूसरे ने कहा- गलत होगा

दिल्ली चुनाव में एआईएमआईएम उम्मीदवार ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में एकमत फैसला नहीं हो सका। दो जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसला दिया जिसके बाद अब मामले को तीन जजों की बेंच के पास भेजा जाएगा।

Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 22 Jan 2025 05:15 PM
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दिल्ली चुनाव में एआईएमआईएम उम्मीदवार ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में एकमत फैसला नहीं हो सका। दो जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसला दिया जिसके बाद अब मामले को तीन जजों की बेंच के पास भेजा जाएगा। दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद सीट से चुनाव लड़ रहा है और प्रचार के लिए उसने अंतरिम जमानत की याचिका दायर की थी। दंगों के दौरान ताहिर आम आदमी पार्टी का पार्षद था। बाद में 'आप' ने उसे पार्टी से बाहर निकाल दिया। अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने ताहिर को अपना उम्मीदवार बनाया है।

जस्टिस पंकज मित्तल ने जहां ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया तो जस्टिस अशानुद्दीन अमानुल्लाह ने ताहिर को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी। जस्टिस मित्तल ने कहा कि चूंकि हमारी राय अलग-अलग है, इसलिए रजिस्ट्री को इस मामले को सीजेआई के सामने रखना चाहिए ताकि वह तीसरे जज को सौंप सकें या तीन जजों की बेंच का गठन किया जाए।

जस्टिस पंकज मित्तल ने यह कहते हुए ताहिर की याचिका खारिज कर दी कि इसे स्वीकार करने पर एक नई प्रथा की शुरुआत हो जाएगी। विचाराधीन कैदी चुनाव में खड़े हो जाएंगे और चुनाव लड़ने या प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग करेंगे। उन्होंने सबूतों और गवाहों से छेड़छाड़ की संभावना का जिक्र करते हुए कहा कि 10-15 दिन के प्रचार से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि एक क्षेत्र में सालों काम करना पड़ता है।

जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि यह स्थापित कानून है कि अपराध की गंभीरता जमानत केसों में एकमात्र मानक नहीं है। मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता को जमानत देनी चाहिए, 4 फरवरी की दोपहर तक। इसके अलावा यह भी आदेश दिया जाता है कि वह चुनाव प्रचार के दौरान उन पर लगे एफआईआर या आरोपों का मुद्दा नहीं उठाएंगे। साथ ही उन्हें दी गई अवधि समाप्त होने के बाद तुरंत जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करना होगा।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को हिंसा भड़क उठी थी जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। ताहिर हुसैन फरवरी 2020 में हुए दंगों के एक मामले में आरोपी हैं जो खुफिया ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की मौत से जुड़ा है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, 26 फरवरी, 2020 को शिकायतकर्ता रविंदर कुमार ने दयालपुर पुलिस स्टेशन को सूचित किया कि उनका बेटा अंकित शर्मा 25 फरवरी, 2020 से लापता है। दंगा प्रभावित क्षेत्र के खजूरी खास नाले से शर्मा का शव बरामद किया गया और उनके शरीर पर चोटों के 51 निशान थे।

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