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हिंदी न्यूज़ NCR'पावर सेंटर' पर कब्जा ना कर ले BJP, दिल्ली में अब क्या है केजरीवाल की सबसे बड़ी टेंशन

'पावर सेंटर' पर कब्जा ना कर ले BJP, दिल्ली में अब क्या है केजरीवाल की सबसे बड़ी टेंशन

5 साल में दिल्ली के तीनों कूड़े के पहाड़ हटाने समेत कई बड़े वादे करके एमसीडी में बहुमत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) को अब तक निगम की सत्ता वास्तविक रूप से मिलने का इंतजार है।

'पावर सेंटर' पर कब्जा ना कर ले BJP, दिल्ली में अब क्या है केजरीवाल की सबसे बड़ी टेंशन
Sudhir Jhaलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीTue, 31 Jan 2023 01:20 PM
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5 साल में दिल्ली के तीनों कूड़े के पहाड़ हटाने समेत कई बड़े वादे करके एमसीडी में बहुमत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) को अब तक निगम की सत्ता मिलने का इंतजार है। मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी पर किसका कब्जा होगा? अभी यह भी साफ नहीं है। 134 वार्डों पर कब्जा जमाने वाली 'आप' को 105 पार्षदों वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अंकगणित में भाजपा से आगे 'आप' को मेयर और डिप्टी मेयर पद पर जीत मिलने का पूरा भरोसा है, लेकिन असली टेंशन उस पावर सेंटर की है, जिस पर भाजपा ने पेंच फेंसाने का पूरा इंतजाम कर लिया है।

दरअसल, एमसीडी में मेयर और डिप्टी मेयर पद के अलावा स्टैंडिंग कमेटी मेंबर्स का चुनाव भी होना है, जिसे असली पावर सेंटर कहा जाता है। मेयर निगम के मुखिया जरूर होते हैं, लेकिन कार्यकारी शक्तियां स्टैंडिंग कमिटी के पास होती है। मेयर के पास शक्तियां सीमित हैं और वह सदन की बैठकें बुलाने, सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए भूमिका निभाने और संपत्ति की जानकारी नहीं देने पर सदस्यों को अयोग्य घोषित करने जैसे काम कर सकते हैं। परियोजनाओं को आर्थिक मंजूरी, नीतियों के निर्माण और उन्हें लागू कराने, शिक्षा, पर्यावरण और पार्किंग जैसे अहम मुद्दों पर उपसमियों के गठन, नियम बनाने की शक्तियां स्टैंडिंग कमिटी के पास ही होती है, जिसमें 18 सदस्य होते हैं।

कैसे पावर सेंटर पर कब्जा कर सकती है बीजेपी?
स्टैंडिंग कमिटी के 6 सदस्यों का चुनाव पार्षद करेंगे, जबकि शेष 12 का चुनाव वार्ड कमिटियों के जरिए होगा। स्टैंडिंग कमिटी के 6 सदस्यों के चुनाव वरीयता आधारित वोटिंग सिस्टम से होगा। एक मेंबर की जीत के लिए 36 वोटों की आवश्यकता होगी। लेकिन जैसा कि कांग्रेस ने ऐलान किया है, उसके 9 पार्षद वोटिंग से गैरहाजिर होते हैं तो एक मेंबर की जीत के लिए 35 वोटों की ही जरूरत होगी और ऐसी स्थिति में आप और भाजपा के 3-3 उम्मीदवार जीत हासिल कर सकते हैं। इसके बाद वार्ड कमिटी के जरिए होने वाले चुनाव में एल्डरमैन की भूमिका भी अहम होगी, जिन्हें एलजी वीके सक्सेना ने नामित किया है। एमसीडी के 12 जोन से इन 12 सदस्यों का चुनाव होगा। 'आप' के पास 8 जोन में बहुमत है तो 4 जोन में भाजपा आसानी से जीत दर्ज कर सकती है। लेकिन एल्डरमैन इस समीकरण को बदल सकते हैं। 10 में से 4 एल्डरमैन सिविल लाइंस जोन से हैं, 4 नरेला जोन और दो सेंट्रल जोन से हैं।  इसका मतलब है कि सिवल लाइंस और नरेला जोन में कांटा 'आप' से भाजपा के पक्ष में झुक सकता है। सेंट्रल जोन में भी कड़ा मुकाबला होगा। जिस तरह के समीकरण बन रहे हैं उने 'आप' की चिंता बढ़ा दी है। यदि आप को स्टैंडिंग कमिटी में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो उसके लिए एमसीडी के फैसले आसान नहीं होंगे। 

क्या हो केजरीवाल की दोहरी चिंता?
आप संयोजक के सामने पहली चिंता इस बात को लेकर है कि एमसीडी में मेयर समेत अधिकतर सीटों पर किस तरह जीत हासिल की जाए। यदि स्टैंडिंग कमिटी में पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो सत्ता में आने के बावजूद अपने हिसाब से काम करना मुश्किल होगा। यह अलग बात है कि एमसीडी चुनाव 5 साल बाद आएंगे और वादों को पूरा करने के लिए अभी पार्टी के पास पर्याप्त समय है, लेकिन 8 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज पार्टी इस बात को जानती है कि एक साल बाद ही होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस जैसे दल उनसे वादों का हिसाब मांगना शुरू कर देंगे। दिल्ली में साफ-सफाई से लेकर तमाम मुद्दों पर पार्टी एक तेजी से बेहतर काम करके दिखाना होगा। वैसे भी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में 'आप' का अब तक खाता नहीं खुला है, जहां पार्टी की स्थापना हुई।