Hindi Newsएनसीआर न्यूज़why leopard coming in populated area seen fifth time in one and half months expert give reason

डेढ़ महीने में पांचवी बार, आखिर क्यों बार-बार रिहायशी इलाकों में आ रहा तेंदुआ; एक्सपर्ट ने बताया

रिहायशी इलाके में पिछले डेढ़ महीने में पांच बार तेंदुआ दिखाई दे रहा है। दिल्ली से सटी फरीदाबाद की ग्रीन वैली में बुधवार को तेंदुआ घुस गया था। अरावली पर्वत में तेंदुओं की मौजूदगी है।

डेढ़ महीने में पांचवी बार, आखिर क्यों बार-बार रिहायशी इलाकों में आ रहा तेंदुआ; एक्सपर्ट ने बताया
हिन्दुस्तान नई दिल्ली फरीदाबाद गुरुग्रामFri, 16 Feb 2024 02:25 AM
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दिल्ली से सटी फरीदाबाद की ग्रीन वैली में बुधवार को तेंदुआ घुस गया था। करीब 11 घंटे की मशक्कत के बाद उसे पकड़ा जा सका। इसे गुरुवार को नूंह में अरावली के जंगल में छोड़ दिया गया है। इसी तरह हाल ही में दिल्ली के बवाना क्षेत्र में एक बार फिर तेंदुआ देखे जाने की बात कही जा रही है। आम लोगों की शिकायत के बाद वन विभाग की ओर से तेंदुए की तलाश में अभियान भी चलाया जा रहा है। 

बीते डेढ़ महीने में यह पांचवां मौका है, जब इंसानी आबादी के आसपास तेंदुए के घूमने की बात कही जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो आसान भोजन और नए इलाके की तलाश में तेंदुए इंसानी आबादी के करीब आ रहे हैं। यूं तो राजधानी दिल्ली के आसपास के वन क्षेत्रों में तेंदुए की मौजूदगी की बात नई नही है। खासतौर पर गुरुग्राम और फरीदाबाद में अरावली पर्वत श्रृंखला से जुड़े इलाकों में तेंदुओं की मौजूदगी देखी जा जाती रही है और गाहे-बगाहे इंसानी बस्तियों में भी इनके घुसने की घटनाएं सामने आई हैं। 

जबकि, दिल्ली के असोला भाटी वन्यजीव अभ्यारण्य में भी आठ के लगभग तेंदुओं का रहवास होने की बात विशेषज्ञों ने दर्ज की है। हालांकि, इंसानी आबादी के करीब आने पर एक तरह का दहशत का माहौल भी बनता रहा है। बवाना में एक बार फिर तेंदुआ देखे जाने की बात कही जा रही है। एक स्थानीय नागरिक की ओर से इसकी सूचना पुलिस और वन विभाग को दी गई है। जिसके बाद वन विभाग की ओर से इसकी तलाश की जा रही है।

गुरुग्राम में जंगल का दायर घट रहा 

निजी फायदे के लिए माफिया अरावली के जंगलों में शहरीकरण कर रहे है। वहां पर बड़ी-बड़ी इमारतें और सोसाइटियों का निर्माण कर दिया गया। इस कारण जंगल का दायर घट गया। दायरा कम होने से जंगल का इको-सिस्टम पूरी तरह से बिगड़ गया। अरावली के जंगल में रहने वाले नील गाय, लक्कड़ बग्गा, सांप और तेंदूओं को खाने के लिए प्रर्याप्त शिकार नहीं मिलने पर उन्होंने आबादी की तरफ रूख करना शुरू कर दिया है। वह आबादी में आकर वहां पर मौजूद कुत्ते, भेड़, बकरी और बछड़ों को भी शिकार बनाते हैं। अरावली के इको सिस्टम से छेड़छाड़ करने का सबसे ज्यादा प्रभाव वन्य जीवों पर पड़ा है। इसलिए ऐसी घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं।

फेंसिंग नहीं होने से आसपास खतरा बढ़ा

अरावली के जंगलों के फेंसिंग न होने से आसपास के रिहायशी क्षेत्रों में तेंदुए और अन्य वन्य जीवों के आने का खतरा बढ़ गया है। वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार, बुधवार को अरावली से ही तेंदुआ ग्रीन वैली में आया। अरावली के बीच से निकल रहा फरीदाबाद-गुरुग्राम मार्ग करीब 18 किलोमीटर लंबा है।

कई बार बेहोश कर रेस्क्यू कर चुके

18 अप्रैल 2017- गांव मंडावर में तेंदूआ घुस गया। ग्रामीणों ने उस पर हमला कर उसको मार डाला था
10 अगस्त 2019- अरावली के बीचों-बीच बनी नई सड़क पर रास्ता भूलने के कारण तेंदुआ बादशाहपुर में पहुंच गया था
03 जनवरी 2023- गांव नरसिंगपुर में तीन साल का तेंदूआ गांव में घुस गया। वन्य जीव विभाग ने तेंदूए को बेहोश कर रेस्क्यू किया

बीते चार साल में सात बार फरीदाबाद में घुसा

बीते चार वर्ष में सात बार फरीदाबाद के कई इलाकों में तेंदुआ घुसा। इनमें तीन बार तेंदुए की मौत हुई, जबकि तीन बार वह अरावली में रफूचक्कर हो गया। वहीं, एक बार उसे पकड़कर जंगल में छोड़ दिया गया। अंतिम बार 14 फरवरी 2024 को तेंदुआ दिखा। इससे पहले 14 जनवरी 2023 को राजीव कालोनी में तेंदुआ घुसा था और करीब छह घंटे तक दहशत में रही। इससे पहले 15 नवंबर 2019 को सरुरपुर में,29 जुलाई को ग्रीन फील्ड में, 21 अगस्त 2020 को जाजरु में, 21 जनवरी 2021 को मोहबताबाद में, 16 सितंबर 2022 को भुलवान गांव में तेंदुआ घुस आया था। वन्य प्राणी विभाग के निरीक्षक राजेश चहल बताते हैं कि अरावली में गुरुग्राम-फरीदाबाद क्षेत्र में करीब 30 तेंदुएं हैं। ये आसान शिकार का पीछा करते हुए रिहायशी इलाकों में घुस जाते हैं।

कुत्तों से लेकर मुर्गा-मछली तक खा जाता है

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि आसान भोजन और नई इलाके की तलाश में तेंदुए इंसानी आबादी के करीब आ जाते हैं। जैव विविधता पार्क के वैज्ञानिक प्रमुख फैयाज खदसर बताते हैं कि तेंदुआ खाने के मामले में बेहद लचीला वन्यजीव होता है। यह आवारा कुत्तों से लेकर मुर्गा-मछली के अवशेषों को खाकर भी गुजारा कर लेता है। दूसरी ओर, जाड़े के समय युवा हो रहे तेंदुए नए इलाके की तलाश में भी एक जगह से दूसरी जगह प्रस्थान करते हैं।

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