ईस्ट किदवई नगर पुनर्विकास परियोजना को हरी झंडी, दिल्ली हाईकोर्ट का हस्तक्षेप करने से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने ईस्ट किदवई नगर पुनर्विकास परियोजना (East Kidwai Nagar Redevelopment Project) में हस्तक्षेप करने से गुरुवार को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह दिल्ली के मास्टर प्लान के अनुरूप...
दिल्ली हाईकोर्ट ने ईस्ट किदवई नगर पुनर्विकास परियोजना (East Kidwai Nagar Redevelopment Project) में हस्तक्षेप करने से गुरुवार को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह दिल्ली के मास्टर प्लान के अनुरूप है और विभिन्न वैधानिक प्राधिकारों ने इसे मंजूरी दी है।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि परियोजना को दी गई अनुमति को कोई विशेष चुनौती नहीं दिए जाने को लेकर वह इसकी समीक्षा नहीं कर सकता। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि परियोजना के लिए काटे गए पेड़ों के एवज में क्षतिपूर्वक पौधारोपण किए जाने में कमी है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कार्यालयों को शिफ्ट करना वक्त की दरकार है, ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि दिल्ली में अभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के कार्यालयों को दूसरी जगह ले जाने पर पूर्ण पाबंदी है और इस तरह मौजूदा परियोजना अवैध हो जाती है।
Delhi High Court said "the right to live with human dignity becomes illusionary in the absence of a healthy environment" and "a balance has to be achieved
— ANI (@ANI) February 11, 2021
between urban development and ecology and requirements of development."
जस्टिस नवीन चावला ने सिविल इंजीनियरिंग उपक्रम, एनबीसीसी को यह निर्देश दिया कि वह क्षतिपूरक पौधारोपण कार्य पूरा होने तक आवंटियों को वाणिज्यिक/ कार्यालय खंड नहीं सौंपे।
कोर्ट ने कहा कि राजधानी दिल्ली में यातायात में तेजी और खतरनाक वृद्धि और समस्या पूर्वी किदवई नगर पुनर्विकास परियोजना को बर्बाद करने का कारण नहीं हो सकती है। जस्टिस चावला ने कहा कि वाहनों की भीड़ की और बढ़ती समस्या के लिए अधिकारियों को सक्रिय और सतर्क होने की आवश्यकता है ताकि इसका समाधान खोजा जा सके।
अदालत द्वारा की गई टिप्पणियां पुनर्विकास परियोजना में हस्तक्षेप करने की घोषणा करते हुए आई, जिसका पास की साउथ एक्सटेंशन-2 कॉलोनी के कुछ निवासियों ने विरोध किया है। साउथ एक्सटेंशन-2 के निवासियों ने कहना था कि इस प्रोजेक्ट को उचित यातायात आंकलन के बिना मंजूरी दी गई थी।