दिल्ली-एनसीआर का दम घोंट रहा वाहनों का धुआं, एनजीटी ने प्रदूषण खत्म करने को दिए ये सुझाव
दिल्ली एनसीआर में वाहनों से निकलने वाला धुआं पराली के बाद दम घोंट रहा है। वायु प्रदूषण को बढ़ाने में इसका अहम योगदान है। वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व हवा की गुणवत्ता को खराब करते हैं।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में बताया है कि दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए पराली के अलावा वाहनों से निकलने वाला धुआं दूसरा सबसे बड़ा कारक है। ट्रिब्यूनल में पेश अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व साल भर दिल्ली की हवा की गुणवत्ता को खराब करते हैं।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष पेश अपनी रिपोर्ट में सीएक्यूएम ने इस बात पर जोर दिया है कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण को खत्म करना दिल्ली-एनसीआर के हित में होगा। इस बारे में उसने दिल्ली सरकार सहित एनसीआर में शामिल राज्य सरकारों को निर्देश दिया है।
राहत के लिए सुझाव
जाम खत्म हो
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सड़कों पर अतिक्रमण होने और यातायात जाम लगने की वजह से वाहनों से अधिक उत्सर्जन होता। ऐसे में सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करने यातायात को सुगम बनाने के लिए कहा है।
मल्टी लेवल पार्किंग
इसके अलावा आयोग ने मल्टीलेवल और अधिकृत पार्किंग के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के साथ ही वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) का ऑडिट कराने की सिफारिश की है।
ई-बसों की जरूरत
दिल्ली सरकार को लो फ्लोर ई-बसों की खरीद में भी तेजी लाने की जरूरत है। रिपोर्ट में 2025 तक बसों की संख्या 10,925 होने की उम्मीद जताते हुए, इसमें 50 फीसदी यानी लगभग 55 सौ ई-बसें करने का सुझाव दिया।
पराली की समस्या
सीएक्यूएम ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को धान के बजाय, मक्का और मोटे आनाज पर जोर देने के बारे में निर्देश दिया है। इसके अलावा बासमती धान के अलावा कम पराली वाले जल्दी पकने वाले धान को बढ़ावा देने को कहा गया है।
प्रदूषण कम करने की इच्छाशक्ति नहीं
राजधानी में लगातार वायु प्रदूषण की स्थिति खराब श्रेणी में होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सोमवार को दिल्ली सरकार को आड़े हाथ लिया। ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार के पास प्रदूषण की स्थिति में सुधार के लिए इच्छाशक्ति नहीं है।
