किरायेदार से घर खाली कराने के लिए दो पीढ़ी तक लड़ना पड़ा मुकदमा
राजधानी दिल्ली में एक व्यक्ति को अपना मकान किराये पर देना महंगा पड़ा गया। वर्ष 1980 में 180 रुपये प्रतिमाह किराये पर मकान लेने के महज कुछ ही माह बाद ही किरायेदार ने मकान मालिक को किराया देना बंद कर...
राजधानी दिल्ली में एक व्यक्ति को अपना मकान किराये पर देना महंगा पड़ा गया। वर्ष 1980 में 180 रुपये प्रतिमाह किराये पर मकान लेने के महज कुछ ही माह बाद ही किरायेदार ने मकान मालिक को किराया देना बंद कर दिया।
लगभग 37 साल की लंबी कानूनी जंग के बाद अदालत ने मकान मालिक के हक में फैसला देते हुए किरायेदार को घर खाली करने का आदेश दिया है।
दरअसल, उत्तम नगर निवासी नंद लाल ने वर्ष 1980 में वरिंदर नगर, जेल रोड स्थित अपना मकान अवतार सिंह को किराये पर मकान दिया था। सिंह ने कुछ माह तक नियमित तौर पर किराया का भुगतान किया। इसके बाद किराया देना बंद कर दिया। घर खाली करने से भी इनकार कर दिया। नंद लाल ने किरायेदार अवतार सिंह से घर खाली कराने का अदालत में याचिका दाखिल की। अतिरिक्त किराया नियंत्रक विशाल पहुजा ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद मकान मालिक के दावे को सही ठहराया। अदालत ने किरायेदार की सभी दलीलों को सिरे से खारिज भी कर दिया।
अदालत ने मकान मालिक नंद लाल के परिजनों के हक में फैसला देते हुए किरायेदार अवतार सिंह के परिजनों को घर खाली करने का आदेश दिया है।
39 साल के किराये का भुगतान करने का आदेश
अदालत ने इस मामले में किरायेदार को वर्ष 1980 से अब तक के किराया का भुगतान करने और इस पर 15 फीसदी ब्याज भी देने का भी आदेश दिया है। अदालत ने 180 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से किराया का भुगतान करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि किरायेदार ने वर्ष 2013 के आदेश पर अदालत में कुछ किराये का रकम जमा कराया है, उसे कुल किराये में समायोजित किया जाए।
लंबी सुनवाई के दौरान मकान मालिक व किरायेदार की मौत
मकान मालिक नंद लाल ने किरायेदार अवतार सिंह से घर खाली कराने के लिए 1982 में मुकदमा दाखिल किया था। साल दर साल मुकदमे की लंबी सुनवाई के बाद दोनों की मौत हो गई। इसके बाद दोनों के परिजनों ने अदालत में मुकदमा लड़ा। करीब 37 साल बाद मकान मालिक के पक्ष में फैसला आया।
मकान मालिक नहीं है यचिकाकर्ता
मामले की सुनवाई के दौरान किरायेदार अवतार सिंह ने अदालत में कहा कि याचिकाकर्ता नंद लाल इस मकान का मालिक नहीं है। सिंह की ओर से दावा किया गया कि इस माकान का मालिकाना हक किसी अन्य व्यक्ति के पास है। साथ ही मकान मालिक नंद लाल पर दूसरे के माकन को धोखे से कब्जा करने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही कहा था कि धोखाधड़ी से दूसरे के मकान को किराये पर लगा दिया है, इसलिए घर खाली कराने का आदेश पारित नहीं किया जा सकता।