Delhi court grants bail to activist Disha Ravi in toolkit case : किसान आंदोल से जुड़े 'टूलकिट' मामले में गिरफ्तार 21 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को जमानत दे दी। कोर्ट ने रवि को 1 लाख रुपये का निजी मुचलका जमा करने की शर्त पर जमानत दी है। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से आगे पूछताछ के लिए दिशा की रिमांड बढ़ाने की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने के बाद आरोपी दिशा रवि को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है। उन्होंने रवि को एक लाख रुपये का मुचलका और इतनी ही रकम के दो जमानती जमा करने को कहा है। 'टूलकिट' सोशल मीडिया पर शेयर करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। रवि और अन्य के खिलाफ पुलिस ने राजद्रोह सहित विभिन्न आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है।
गौरतलब है कि दिशा रवि के वकील ने शनिवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से कहा था कि यह दर्शाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि किसानों के प्रदर्शन से जुड़ा 'टूलकिट' 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है। इसके बाद अदालत ने उसकी जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया था।
दिशा ने अपने वकील के जरिये अदालत से कहा था कि यदि किसानों के प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं। दिल्ली पुलिस द्वारा दिशा की जमानत याचिका का विरोध किए जाने के बाद दिशा के वकील ने यह दलील दी।
Toolkit case: Session Court of Patiala House Court allows the bail plea of Disha Ravi; Additional Session Judge Dharmender Rana grants bail to her on furnishing a bail bond of Rs 100,000 with two surety in like amount.
— ANI (@ANI) February 23, 2021
अदालत में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह महज एक 'टूलकिट' नहीं था, असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां अशांति पैदा करना था। दिशा ने वॉट्सऐप पर हुई चैट (बातचीत) मिटा दी थी, वह कानूनी कार्रवाई से अवगत थी। इससे यह जाहिर होता है कि 'टूलकिट' के पीछे नापाक मंसूबा था।
पुलिस ने कहा कि दिशा रवि भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश के भारतीय चैप्टर का हिस्सा थी। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि एक प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने 11 जनवरी को इंडिया गेट और लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को इनाम देने की घोषणा की थी।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि किसी तरह यह 'टूलकिट' सोशल मीडिया पर लीक हो गया और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध था, उसी को हटाने की योजना बनाई गई और प्रदर्शन किया गया। पुलिस ने अदालत के सामने कहा कि ये संगठन कनाडा से संचालित था और चाहता था कि कोई व्यक्ति इंडिया गेट, लाल किले पर झंडा फहराए। वे किसानों के विरोध की आड़ में ऐसी गतिविधियों को अंजाम देना चाहते थे और यही कारण है कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन शामिल हैं।
खालिस्तान के संबंध में दिल्ली पुलिस ने कहा कि भारत विरोधी गतिविधियों के लिए वैंकूवर एक अहम स्थान है और किसान एकता कंपनी नामक एक संगठन वैंकूवर में एक अन्य संगठन के संपर्क में है।