कब खत्म होगी यह सुरंग; शराब घोटाले में SC ने CBI-ED से क्यों पूछा ऐसा
सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामले में सीबीआई और ईडी से पूछा कि ‘इस मामले का अंत’ कब होगा। सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामले में सीबीआई और ईडी से पूछा कि ‘इस मामले का अंत’ कब होगा। शीर्ष अदालत ने करीब 17 माह से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखते हुए दोनों केंद्रीय जांच एजेंसियों से यह सवाल किया है।
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने सीबीआई और ईडी से पूछा कि वे इन मामलों में ‘सुरंग का अंत’ कहां देखते हैं। कोर्ट में दोनों जांच एजेंसियों की ओर से पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू से पीठ ने पूछा कि मामले में 493 गवाह हैं, यदि आप उनमें से 50 फीसदी को भी हटा दें, तो यह लगभग 250 होगा। वास्तव में, आप हमें बताएं कि मुकदमा कब समाप्त होगा।’ शीर्ष अदालत ने इन सवालों का जवाब देते हुए एएसजी राजू ने पीठ से कहा कि सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में आठ-आठ महत्वपूर्ण गवाह हैं।’
पीठ ने यह भी पूछा कि मुकदमे की सुनवाई कब शुरू हो सकता है? इस पर एएसजी राजू ने कहा कि आरोप तय होने के एक महीने के भीतर, मामले में महत्वपूर्ण आठ गवाहों के बयान दर्ज कराए जा सकते हैं।
पीटीआई के अनुसार, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने पीठ से कहा कि सीबीआई और ईडी द्वारा दायर प्रत्येक मामले में आठ प्रमुख गवाह हैं। आरोप तय होने के एक महीने के भीतर इन आठ गवाहों से पूछताछ की जा सकती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ गवाहों को मामलों के अन्य सह-अभियुक्तों द्वारा धमकी दी गई थी।
एएसजी ने कहा कि सिसोदिया का यह दावा कि इन मामलों में देरी जांच एजेंसियों के कारण हुई, गलत था। राजू ने कहा कि मुकदमा शुरू हो सकता था। हमारी आगे की जांच किसी और चीज के लिए थी। उनके (सिसोदिया) खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है ताकि मुकदमा आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि सिसौदिया ने इन मामलों में आरोप मुक्त करने के लिए कोई आवेदन दायर नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि इन मामलों में देरी सिसोदिया और अन्य आरोपियों द्वारा अभियोजन पक्ष द्वारा उपयोग नहीं किए गए दस्तावेजों के लिए कई अनुरोध दायर करने के कारण हुई। पीठ ने कहा कि अदालत ने इनमें से किसी भी अनुरोध को मुकदमे में देरी करने के इरादे से खारिज नहीं किया है।
सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने बताया कि जांच एजेंसियों ने पहले सबूतों से छेड़छाड़ के बारे में चिंता व्यक्त नहीं की थी। हम जानते हैं कि हर जमानत मामले में सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगता है। सिंघवी ने कहा कि अभियोजन पक्ष की दलीलें दिखावा थीं और इन्हें कभी भी हाई कोर्ट या ट्रायल कोर्ट के समक्ष नहीं उठाया गया था। उन्होंने कहा कि ये दलीलें मंगलवार को शीर्ष अदालत के समक्ष सिसोदिया की रिहाई को रोकने के लिए पेश की गईं।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिका पर भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
बता दें कि दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 से संबंधित अनियमितताओं में कथित संलिप्तता के लिए सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद ईडी ने उन्हें 9 मार्च 2023 को सीबीआई एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 अब अस्तित्व में नहीं है।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने यह तर्क देते हुए जमानत देने का अनुरोध किया है कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनका मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। ईडी और सीबीआई ने उनकी जमानत याचिकाओं का विरोध किया है।
(एजेंसी से इनपुट पर आधारित)