स्कूली बच्चों में 'भाषाई सहिष्णुता' बढ़ाने को HRD मंत्रालय का ये नया फरमान
जब भी हम किसी से मिलते हैं तो सबसे पहले उसे अपनी भाषा में संबोधित करने के लिए हिंदी में 'नमस्ते', अंग्रेजी में 'हैलो', तमिल भाषा में 'वणक्कम', मणिपुरी में खुरमुजारी, उर्दू में...
जब भी हम किसी से मिलते हैं तो सबसे पहले उसे अपनी भाषा में संबोधित करने के लिए हिंदी में 'नमस्ते', अंग्रेजी में 'हैलो', तमिल भाषा में 'वणक्कम', मणिपुरी में खुरमुजारी, उर्दू में 'अदाब' और संथाली में 'जोहर' कहते हैं।
राष्ट्रीय एकता और "भाषाई सहिष्णुता" को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही नियमित रूप से स्कूलों में सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान स्कूली छात्रों को इस तरह के अलग-अलग शब्द (सबक) सिखाए जाएंगे।
इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर 'भाषा संगम' कार्यक्रम के तहत स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के दौरान सीनियर स्टूडेंट्स द्वारा पांच अलग-अलग भाषाओं के शब्द बोलने के लिए कहा है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "एक दिन यह शब्द तमिल भाषा का हो सकता है तो दूसरे दिन असमिया, अगले दिन पंजाबी, बंगाली या संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत आने बीस भाषाओं में से किसी भी भाषा में ये हो सकते हैं। इसका उद्देश्य भाषाई सहिष्णुता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के साथ ही हर बच्चे को इन सभी भाषाओं में सरल संवाद से परिचित कराना है।"
अधिकारी ने कहा कि यह कार्यक्रम कम उम्र में ही छात्रों को विभिन्न आयाम देने का प्रयास है।
मंत्रालय ने स्कूलों से इन राज्यों के शिक्षकों, माता-पिता, सरकारी कर्मचारियों को स्कूल में बुलाकर आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले वाक्यों को पढ़ने के लिए आमंत्रित करने को कहा है, जिसके लिए मंत्रालय ने किताब भी बनवाई की है।
एचआरडी मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि शिक्षक छात्रों को उस दिन के लिए चुनी गई भाषा में संबोधित कर सकते हैं और उनके साथ बातचीत कर सकते हैं और छात्रों को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
स्प्रिंगडेल स्कूल, नई दिल्ली की प्रिंसिपल अमिता वट्टल ने कहा, "यह विविधता का जश्न मनाने का एक सरल तरीका है। हमें अपने देश की विविधता का जश्न मनाने के और तरीके भी मिलना चाहिए।