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हरियाणा में हिन्दी को कोर्ट की आधिकारिक भाषा बनाने के खिलाफ याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की निचली अदालतों और राज्य के सभी अधिकरणों में कामकाज की आधिकारिक भाषा हिन्दी लागू करने के राज्य सरकार के फैसले में दखल देने से सोमवार को इनकार कर दिया। हरियाणा में निचली...

हरियाणा में हिन्दी को कोर्ट की आधिकारिक भाषा बनाने के खिलाफ याचिका खारिज
नई दिल्ली। भाषाTue, 09 Jun 2020 12:32 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की निचली अदालतों और राज्य के सभी अधिकरणों में कामकाज की आधिकारिक भाषा हिन्दी लागू करने के राज्य सरकार के फैसले में दखल देने से सोमवार को इनकार कर दिया।

हरियाणा में निचली अदालतों और अधिकरणों में कामकाज की आधिकारिक भाषा हिन्दी बनाने संबंधी हरियाणा आधिकारिक भाषा (संशोधन) कानून, 2020 की वैधानिकता को कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस एस.ए. बोबड़े, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बैंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि इस कानून में क्या गलत है क्योंकि करीब 80 फीसदी वादकारी अंग्रेजी नहीं समझते हैं। बैंच ने इस तरह का कानून बनाने को उचित बताते हुए कहा कि हिन्दी को कुछ राज्यों में निचली अदालतों में कामकाज की भाषा बनाने में कुछ भी गलत नहीं है। ब्रिटिश राज में भी साक्ष्य दर्ज करने का काम क्षेत्रीय भाषाओं में ही होता था।

याचिकाकर्ता समीर जैन का कहना था कि वह अदालत की कार्यवाही हिन्दी या किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा में किए जाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन चूंकि वह दिल्ली-एनसीआर के हैं, इसलिए हरियाणा की अदालतों में वकीलों के लिए हिन्दी में बहस करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भी अपने मुकदमों की बहस हिन्दी में करना मुश्किल होगा।

इस पर कोर्ट ने कहा कि इस कानून के तहत अंग्रेजी को अलग नहीं किया गया है और अदालत की अनुमति से इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट शुरू में इस मसले पर नोटिस जारी करना चाहती थी, लेकिन राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने कहा कि राज्य में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 272 और दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 137 (2) के तहत प्रदत्त अधिकार के अंतर्गत ही यह कानून लागू किया गया है।

उन्होंने कहा कि राज्य को अदालत की कार्यवाही में पारदर्शिता लाने और यह वादकारियों की समझ में आने के लिए इस तरह का कानून बनाने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि इस संशोधन की धारा 3ए में कुछ भी गलत नहीं है और इससे किसी भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में अदालत की कार्यवाही हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं में हो रही है। इस पर याचिकाकर्ताओं ने याचिका वापस लेने और राहत के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट जाने की छूट देने का बैंच से अनुरोध किया।

समीर जैन सहित पांच वकीलों ने राज्य के उस कानून को चुनौती दी थी जिसमें दीवानी और फौजदारी अदालतों, राजस्व अदालतों और किराया अधिकरणों तथा राज्य के दूसरे अधिकरणों की कार्यवाही हिन्दी भाषा में करने का प्रावधान किया गया है। इन वकीलों की दलील थी कि हरियाणा आधिकारिक भाषा संशोधन कानून, 2020 असंवैधानिक है और राज्य में निचली अदालतों में कामकाज की भाषा के रूप में हिन्दी को मनमाने तरीके से थोपा जा रहा है। 

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