NCR में फिर सांसों पर संकट? इस बार अक्टूबर से ही सताएगा पराली का धुआं; जल्द हवा में दिखेगा असर
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, 15 से 18 सितंबर के बीच पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से कुल दस घटनाएं फसल अवशेष जलाने की दर्ज की गई हैं। इनमें से 6 घटनाएं अकेले पंजाब की हैं।

पराली का धुआं इस बार जल्दी परेशान कर सकता है। पराली जलाने के मामलों को लेकर हर साल छह राज्यों की निगरानी की जाती है। इनमें से तीन राज्यों में अक्टूबर से पहले ही पराली जलाने के शुरुआती संकेत मिलने लगे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुताबिक, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बीते तीन दिनों में पराली जलाने के दस घटनाएं दर्ज की गई हैं।
राजधानी दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत के एक बड़े भूभाग को जाड़े की शुरुआत में भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। धान की फसल के बाद कृषि अवशेष को खेतों में जलाने से उठने वाला धुआं इसका बड़ा कारण रहता है। इसके चलते न सिर्फ पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए तमाम उपाय किए जाते हैं, बल्कि पराली जलाने की घटनाओं की उपग्रहों के जरिए मिलने वाले चित्रों के आधार पर निगरानी भी की जाती है।
15 सितंबर के बाद से घटनाएं दिखने लगीं : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखता है। आमतौर पर पराली जलाने की घटनाएं सितंबर के अंत या अक्टूबर की शुरुआत से ही देखने को मिलती हैं, लेकिन इस बार 15 सितंबर के बाद से ही पराली जलाने की घटनाएं दिखने लगी हैं। हालांकि, घटनाओं की संख्या कम है।
सप्ताह बाद हवा में असर दिखने के आसार : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, 15 से 18 सितंबर के बीच पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से कुल दस घटनाएं फसल अवशेष जलाने की दर्ज की गई हैं। इनमें से 6 घटनाएं अकेले पंजाब की हैं, जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश की दो-दो घटनाएं है। अगले कुछ दिनों में घटनाओं के बढ़ने के आसार हैं। मौसम के अलग-अलग कारकों की वजह से अभी दिल्ली-एनसीआर की हवा सालभर के अपने सबसे अच्छे दौर से गुजर रही है, लेकिन सप्ताह बाद हवा पर पराली के धुएं का असर दिखने के आसार हैं।
40 दिन रहता है सबसे अधिक बुरा हाल
दिल्ली-एनसीआर की हवा को पराली का धुआं चालीस दिनों तक परेशान करता है। 15 अक्टूबर से 25 नवंबर तक हवा में पराली के धुएं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा हो जाती है। इसके चलते कई बार वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से भी ऊपर यानी गंभीर श्रेणी में पहुंच जाती है। इस बार भी ऐसे ही हालात रहे तो वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में पहुंचेगा।
हर साल रोकथाम के तरीके अपनाए जा रहे
खासतौर पर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की रोकथाम के तमाम तरीके अपनाए जाते हैं। इसके चलते पराली जलाने की घटनाओं में कुछ कमी भले आई है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में पराली जलाई जा रही है। पिछले साल छह राज्यों में पराली जलाने की करीब 70 हजार घटनाएं पिछले साल दर्ज की गई थीं।
प्रदूषण की निगरानी को स्कूलों में तैनात होंगी मोबाइल वैन
वहीं, सर्दी के मौसम में प्रदूषण के खतरे को देखते हुए निगरानी के लिए स्कूलों में मोबाइल वैन तैनात की जाएंगी। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की ओर से शिक्षा निदेशालय को पत्र जारी किया गया है। समिति ने निदेशालय से स्कूलों में वैन तैनाती के लिए जगह उपलब्ध कराने को कहा है।
इस संबंध में निदेशालय ने सर्कुलर जारी किया है। स्कूलों में मोबाइल वैन की तैनाती की मदद से प्रदूषण के स्रोतों की पहचान की जाएगी। साथ ही वायु गुणवत्ता की निगरानी होगी। सभी स्कूल प्रमुखों को निदेशालय ने डीपीसीसी अधिकारियों के साथ सहयोग करने के संबंध में निर्देश दिए हैं। जामा मस्जिद स्थित राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय नंबर-1 के प्रधानाचार्य गय्यूर अहमद ने बताया कि प्रदूषण की निगरानी के लिए स्कूलों में मोबाइल वैन का तैनात होना एक अच्छा कदम है। परिसर समेत आसपास की आबोहवा के बारे में जानकारी मिल सकेगी। स्कूलों को मोबाइल वैन की पार्किंग के लिए जगह उपलब्ध कराने के लिए निर्देश प्राप्त हुआ है।
प्रदूषण बढ़ने पर स्कूल बंद करने की आती है नौबत : दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर स्कूल बंद करने की नौबत आ जाती है। उच्च कक्षा के छात्रों के लिए परिसर में बाहरी गतिविधियां बंद करनी पड़ती हैं। स्कूल बंद होने पर छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है। अब मोबाइल वायु गुणवत्ता निगरानी वैन तैनात होने से प्रदूषण की वास्तविक स्थिति के बारे में पता चल सकेगा।