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मुरथल के रेस्तरां और सड़क किनारे चल रहे ढाबों को बंद करें, एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव को दिए निर्देश

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस ए.के. गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अधिकारियों द्वारा जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं दिखी है और पर्यावरण को लगातार नुकसान हो रहा है।

मुरथल के रेस्तरां और सड़क किनारे चल रहे ढाबों को बंद करें, एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव को दिए निर्देश
Praveen Sharmaनई दिल्ली | भाषाSat, 20 Aug 2022 06:54 PM

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा के मुख्य सचिव को पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाले मुरथल के रेस्तरां और सड़क किनारे चल रहे ढाबों को बंद करने को कहा है। साथ ही, मुख्य सचिव को पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय सुनिश्चित करने को लेकर एक बैठक आयोजित करने का भी निर्देश दिया गया है।

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस ए.के. गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अधिकारियों द्वारा जमीनी स्तर पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं दिखी है और पर्यावरण को लगातार नुकसान हो रहा है। बेंच ने कहा कि सड़क किनारे के सभी ढाबों, भोजनालयों, रेस्तरां को उनके तरल और ठोस कचरे के प्रबंधन और सामान्य साफ-सफाई की स्थिति बनाए रखने की आवश्यकता है।

बेंच ने कहा कि उचित अवसर दिए जाने के बावजूद लंबे समय तक बड़े पैमाने पर उल्लंघनों के मद्देनजर नियमों के पालन तक इकाइयों को बंद करने की प्रभावी कार्रवाई की अपेक्षा की जाती है। कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रदूषण फैलाने के संबंध में पिछले उल्लंघनों के लिए मुआवजे की वसूली की जाए।

बेंच ने कहा कि हम हरियाणा के मुख्य सचिव को निर्देश देते हैं कि इस मामले पर गौर करें और पर्यावरण तथा जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए त्वरित और प्रभावी उपाय सुनिश्चित करके स्थिति का समाधान करें। मुख्य सचिव एक माह के भीतर बैठक कर मामले में समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करें।

एनजीटी ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन कर सकता है। बेंच ने कहा कि इसके अलावा बोर्ड अलग-अलग इकाइयों के लिए या संयुक्त रूप से इकाइयों के लिए सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तरीकों को आजमाने का सुझाव दे सकता है और उस आधार पर संचालन के लिए आवश्यक सहमति (सीटीओ) प्रदान कर सकता है।

एनजीटी ने पूर्व में अधिकारियों को भोजनालयों से उत्पन्न कचरे के प्रबंधन के लिए एक ठोस अपशिष्ट शोधन संयंत्र की स्थापना में तेजी लाने का निर्देश दिया था और पूछा था कि क्षेत्र में ढाबों द्वारा विकेन्द्रीकृत शोधन संयंत्र (Decentralised Treatment Plant) क्यों नहीं स्थापित किया गया है।

एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा था कि एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना के 31 दिसंबर, 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है। बेंच ने कहा था कि रिपोर्ट 'बदहाल स्थिति' को प्रदर्शित करती है। बेंच ने कहा था कि 10 केएलडी (किलोलीटर प्रति दिन) प्रदूषक उत्सर्जन करने वाली इकाइयों को अपशिष्ट के दूसरी जगह निपटारा से बचने के लिए मॉड्यूलर एसटीपी (सीवेज शोधन संयंत्र) लगाना चाहिए।

एनजीटी हरियाणा के निवासी अभय दहिया और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सोनीपत जिले में जीटी रोड, मुरथल पर रेस्तरां सहित विभिन्न प्रतिष्ठानों द्वारा अवैध रूप से कचरा फेंकने और जलाने समेत अशोधित पानी को बहाने के खिलाफ याचिका दायर की गई। 

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