दूसरों के नाम पर सिम लेकर बदमाशों को बेचने वाला गिरोह पकड़ा, ऐसे हुआ खुलासा
उत्तर पश्चिम जिला के स्पेशल स्टाफ ने दूसरों के नाम पर सिम लेकर अपराधियों को बेचने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गुरुवार को इस संबंध में सात लोगों को गिरफ्तार गिया है। आरोपी बीते छह माह...
उत्तर पश्चिम जिला के स्पेशल स्टाफ ने दूसरों के नाम पर सिम लेकर अपराधियों को बेचने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गुरुवार को इस संबंध में सात लोगों को गिरफ्तार गिया है। आरोपी बीते छह माह में 16 सौ सिम कार्ड बदमाशों को बेच चुके हैं।
डीसीपी विजयंता आर्या के मुताबिक, स्पेशल स्टाफ की टीम एक आपराधिक मामले की जांच कर रही थी। इसमें एक सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया था जोकि कन्नौज के प्रवीन के नाम पर था। लेकिन, पुलिस पूछताछ में प्रवीन ने बताया कि उसने कभी भी इस नंबर का सिम कार्ड लिया ही नहीं था। फिर जब मामले की जांच आगे बढ़ी तो पुलिस को पता चला कि इस सिम को इस्तेमाल शकील नामक युवक कर रहा है। इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी केजी त्यागी की देखरेख में इंस्पेक्टर बलिहर सिंह एवं एसआई आनंद सिंह की टीम गठित की गई।
कन्नौज से संचालित गिरोह हो रहा था : पुलिस टीम ने कन्नौज निवासी शकील को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पूरा मामला सामने आ गया। शकील ने बताया कि वह सिम डिस्ट्रीब्यूटर है। वह अपने दोस्त रामजी पटेल और रचित के साथ मिलकर दूसरे लोगों के नाम पर सिम एक्टिवेट कराकर उसे छह सौ में बेचता था। इसके लिए रचित के सम्पर्क में दिल्ली निवासी विशाल था जो एक टेलीकाम कम्पनी में काम करता है। विशाल अपने दोस्त पंकज और मनीषा के साथ मिलकर रचित से सिम खरीदकर दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय आपराधिक गिरोहों के बदमाशों को बेचता था। इसके बाद पुलिस ने इन सभी को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता हुआ कि इन्होंने निर्माण विहार स्थित एक फर्जी कॉल सेंटर संचालक को भारी मात्रा में सिम बेच रखे हैं। इस पर एसआई राकेश और एसआई आनंद की टीम ने कॉल सेंटर पर छापा मारकर प्रिंस को भी गिरफ्तार कर लिया।
बायोमेट्रिक सिस्टम की मदद से करते थे फर्जीवाड़ा
पुलिस पूछताछ में आरोपियो ने बताया कि जब कोई नया सिम कार्ड लेने के लिए आता था तो बायोमेट्रिक सिस्टम से उसके फिंगर प्रिंट लिए जाते थे। इस दौरान आरोपी सिम लेने वालों के कई बार फिंगर प्रिंट लेकर उनकी जानकारी के बिना कई सिम एक्टिव करा लेते थे। पुलिस टीम इनके कब्जे से मिले रजिस्टर की जांच कर सिम कार्ड का प्रयोग करने वालों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
छह गुने दाम पर बेचते थे सिम
पुलिस पूछताछ में आरोपी रचित ने बताया कि वह इन सिम कार्ड को विशाल को छह सौ रुपये में बेचता था। फिर विशाल अपने अन्य सम्पर्कों के माध्यम से इन सिम को साढ़े तीन हजार तक में बेच देता था। फर्जी कॉल सेंटर, बीमा के नाम पर झांसा देने वाले, रंगदारी एवं फिरौती मांगने वाले गिरोहों के लोगों को सिम बेचे जाते थे, इस वजह से पुलिस को असली अपराधी तक पहुंचने में दिक्कत आती थी।