सारे अधिकार LG को कैसे? सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिफरी AAP, कर दिया बड़ा दावा
सुप्रीम कोर्ट ने एलजी वीके सक्सेना के उस आदेश को सही ठहराया है जिसमें दिल्ली की अनुमति लिए बिना एमसीडी में 10 एल्डरमैन की नियुक्ति की गई।
दिल्ली उपराज्यपाल वीके सक्सेना के एक फैसले को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट एलजी के उस फैसले को सही ठहराया है जिसमें दिल्ली सरकार की सहमति लिए बिना 10 एल्डरमैन की नियुक्ति की गई। इस फैसले पर आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने इस पर आपत्ति जताई है और भारत के लोकतंत्र के लिए बड़ा झटका करार दिया है। आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस बारे में बात करते हुए कहा, यह फैसला भारत के लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ा झटका है। एक चुनी हुई सरकार को Bypass करके सारे अधिकार LG को दिए जा रहे हैं, ये भारत के संविधान और लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा, इस मामले की सुनवाई के दौरान माननीय जजों की टिप्पणी इस फ़ैसले के विपरीत थी। ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से हम पूरे आदर के साथ असहमत हैं। उन्होंने आगे कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण फ़ैसला लोकतंत्र की भावना के खिलाफ़ है। अन्य राज्यों में भी राज्यपाल ही मनोनीत पार्षदों और सभासदों के नाम पर मुहर लगाते हैं लेकिन चुनी हुई सरकार की अनुशंसा पर। दिल्ली में ऐसा क्यों नहीं है। क्या यहां पर चुनी सरकार नहीं है। संजय सिंह ने कहा, यह दिल्ली के लोगों और लोकतंत्र की भावना के विपरीत फ़ैसला है। पूरा फ़ैसला पढ़ने के बाद हम रणनीति बनायेंगे कि आगे क्या करना है।स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव तो हम जीतेंगे।
आतिशी ने क्या कहा?
दिल्ली सरकार में मंत्री और आप नेता आतिशी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला जब लिखित में आएगा तो हम उसकी स्टडी करने के बाद आगे का फैसला करेंगे। मगर जो फैसला आया है हम सम्मानपूर्वक तरीके से उससे असहमत हैं, क्योंकि एक चुनी हुई सरकार को बाईपास किया जाएगा। एक मनोनीत व्यक्ति द्वारा फैसले लिए जाएंगे।अगर एक चुनी हुई एमसीडी की संख्या को बदल जा सकता है, जनता के जनादेश को बदला जा सकता है तो इससे लोकतंत्र का हनन हो रहा है। जनता ने एमसीडी में आप को जनादेश दिया। लेकिन अगर इस जनादेश को बाईपास किया जाएगा तो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है उसे देखने के बाद आगे की कार्यवाही की करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कानून को उल्लंघन नहीं
दरअसल दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी थी कि उपराज्यपाल के लिए एल्डरमैन को नामित करने के लिए मंत्रीपरिषद की सलाह मानना जरूरी है। हालांकि शीर्ष अदालत ने आप सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने पाया कि सरकार की सहमति लिए बिना एल्डरमैन की नियु्क्ति में कोई कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने नियुक्ति से संबंधित तीन और चार जनवरी 2023 के आदेशों और उसके बाद के गजट नोटिफिकेशन को रद्द करने की दिल्ली सरकार की याचिका खारिज करते हुए यह फैसला दिया। उपराज्यपाल ने एमसीडी में 10 मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति की थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि संसद ने वैधानिक रूप से उपराज्यपाल को एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार दिया है।
पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने फैसला सुनाते ने कहा कि दिल्ली सरकार एल्डरमैन की नियुक्ति के संबंध में अपनी राय नहीं दे सकती, क्योंकि यह अधिकार उपराज्यपाल को दिया गया है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि पिछली पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने कहा था कि संसद दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले किसी भी विषय पर कानून बना सकती है। उधर बीजेपी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है।
भाषा से इनपुट
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