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हिंदी न्यूज़ NCRकोर्ट के फैसले खुश नहीं रकबर का परिवार; कहा- नहीं हुआ न्याय, दायर करेंग अपील

कोर्ट के फैसले खुश नहीं रकबर का परिवार; कहा- नहीं हुआ न्याय, दायर करेंग अपील

नूंह में रकबर खान की गौतस्करी के शक में जानलेवा हमला किया था। इस हमले में रकबर की मौत हो गई थी। इस मामले में राजस्थान की एक अदालत ने चार आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है।

कोर्ट के फैसले खुश नहीं रकबर का परिवार; कहा- नहीं हुआ न्याय, दायर करेंग अपील
Mohammad Azamलाइव हिंदुस्तान,जयपुरFri, 26 May 2023 11:53 AM
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पांच साल पहले हरियाण के नूंह में रकबर खान की गौतस्करी के शक में जानलेवा हमला किया था। इस हमले में रकबर की मौत हो गई थी। इस मामले में राजस्थान की एक अदालत ने चार आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। इस सजा के बाद मृतक रकबर खान के परिजन संतुष्ट नहीं हैं। परिवार वालों ने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। बता दें कि इस मामले कोर्ट ने पांचवे आरोपी वीएचपी नेता को बरी कर दिया था।

मृतक रकबर खान के परिवार ने कहा कि यह फैसला न्याय के बराबर नहीं है क्योंकि उन्हें हत्या के लिए नहीं, बल्कि गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया गया है। परिवार वालों ने कहा कि अदालत ने उस आरोपी को बरी कर दिया जिसने इस घटना का नेतृत्व किया था। मृतक के दादा सद्दीक खान ने कहा कि हमारा परिवार अदालत के फैसले से नाखुश है क्योंकि जो सजा दी गई है वह अपराध के पैमाने के अनुरूप नहीं है।

क्या था मामला
21 जुलाई, 2018 को, रकबर खान और उनके 32 वर्षीय दोस्त असलम ने अपने दूध के कारोबार का विस्तार करने के लिए दो गायों को खरीदने के लिए राजस्थान के लालवंडी गए थो। वे गायों को हरियाणा में अपने गांव वापस ला रहे थे जब भीड़ ने उन पर गाय तस्करों का आरोप लगाते हुए हमला कर दिया। रकबर के साथ गया असलम अंधेरे की आड़ में भाग निकला लेकिन रकबर खान को पकड़ लिया गया, उसके साथ मारपीट की गई और उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया। पुलिस पर परिवार ने उसे अस्पताल ले जाने में देरी करने का आरोप लगाया था। बाद में उसकी मृत्यु हो गई थी।

मृतक रकबर खान के भाई हारून का कहना है कि यह हत्या थी। हमारा मानना है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या की सजा जो हत्या की श्रेणी में नहीं आती) जिसके तहत उन्हें दंडित किया गया था, सही नहीं है। कड़ी सजा होनी चाहिए थी। हारून ने यह भी कहा कि परिवार इस बात से निराश था कि जिस व्यक्ति को उन्होंने भीड़ के नेता के रूप में देखा था, स्थानीय विहिप नेता और रामगढ़ गौ रक्षा प्रकोष्ठ के तत्कालीन प्रमुख शर्मा को बरी कर दिया गया था।

सितंबर 2019 में, अलवर अदालत ने रकबर खान की पत्नी अक्सेना की नवल किशोर शर्मा और सुरेश नाम के एक अन्य व्यक्ति को आरोपी के रूप में तलब करने की याचिका खारिज कर दी थी। परिवार तब राजस्थान उच्च न्यायालय गया था, जिसने निचली अदालत को निर्देश दिया था कि जब तक वह परिवार की याचिका का निस्तारण नहीं कर देती, तब तक कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाया जाए। बाद में मामले में किशोर को आरोपी बनाया गया था।

हारून ने कहा कि यह निराशाजनक है कि किशोर को दंडित नहीं किया गया है। फैसले से हमें थोड़ी शांति मिली है, लेकिन हम न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का इरादा रखते हैं। किशोर का कहना है कि उसने ही पुलिस को हमले के बारे में सूचित किया था और घायल खान को उन्हें सौंप दिया था।

आरोपी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील हेमराज गुप्ता ने कहा कि न्यायिक जांच के दौरान रकबर को संभालने में लापरवाही के लिए पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार पाया गया, जिसके कारण वह घायल हो गया और उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि न्यायिक जांच में यह भी कहा गया कि मुख्य चश्मदीद असलम ने जांच के दौरान कभी किसी आरोपी का नाम नहीं लिया। हम उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे।