इस शख्स ने सीआईसी से पूछा 'विचित्र' सवाल: मेरा ब्लड ग्रुप क्या है?
एक शख्स ने विभिन्न जांचों में अपने ब्लड ग्रुप समूह के बारे में अलग-अलग रिपोर्ट आने के बाद सूचना का अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) से एक विचित्र लेकिन 'गंभीर' सवाल...
एक शख्स ने विभिन्न जांचों में अपने ब्लड ग्रुप समूह के बारे में अलग-अलग रिपोर्ट आने के बाद सूचना का अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) से एक विचित्र लेकिन 'गंभीर' सवाल पूछ लिया कि उसका ब्लड ग्रुप क्या है?
राहुल चित्रा नामक इस शख्स ने सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त यशोवर्द्धन आजाद के समक्ष कहा कि अगर कभी आपातस्थिति के दौरान मुझे खून चढ़ाने की जरूरत हुई तो किस ब्लड ग्रुप का खून मुझे दिया जाएगा? सूचना आयुक्त ने इस बात पर गौर किया कि आवेदक द्वारा उठाया गया मुद्दा गंभीर प्रकृति का है और यह उसके जीवन से संबंधित भी है।
उन्होंने कहा कि राहुल चित्रा के ब्लड ग्रुप को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। यह गंभीर सवाल है कि आपातस्थिति में उन्हें किस ब्लड ग्रुप का खून दिया जाएगा। यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मांगी गई सूचना उनके जीवन के अधिकार से संबंधित है।
एमसीआई की दलीलें खारिज
सूचना आयुक्त ने एमसीआई की दलीलों को खारिज कर दिया कि यह आरटीआई कानून के तहत 'सूचना' की परिभाषा के तहत नहीं आती है। उन्होंने सीपीआईओ से आवेदन को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक को भेजने
को कहा।
अब एम्स ही बताएगा सही बात
आजाद ने कहा कि एम्स एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है जो इस तरह के विशेष मामलों में शोध करता है। आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि एम्स ही इसकी उचित जांच कर आवेदक को सूचित कर सकता है। उन्होंने एम्स निदेशक को जरूरी कदम उठाने और उसी अनुसार आवेदक को सूचित करने का निर्देश दिया।
राहुल चित्रा ने अपने एक परिचित के जरिये एक आरटीआई आवेदन दाखिल किया था। यह आवेदन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को संबोधित था। आवेदन में विभिन्न सरकारी अस्पतालों और निजी लैब में की गई अलग-अलग जांच की रिपोर्ट शामिल हैं। इनमें उसके ब्ल्ड ग्रुप के बारे में बिल्कुल अलग-अलग नतीजे बताए गए। उसने दावा किया कि कुछ जांच में खुलासा किया गया कि उसका आरएच फैक्टर पॉजीटिव है जबकि कुछ अन्य में यह नेगेटिव पाया गया।
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रीसस (आरएच) फैक्टर एक वंशानुगत प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है। अगर किसी व्यक्ति के रक्त में यह प्रोटीन होता है तो कहा जाता है कि उसका आरएच फैक्टर पॉजीटिव है। अगर रक्त में वह प्रोटीन नहीं है तो यह आरएच नेगेटिव होगा। आरएच पॉजीटिव सर्वाधिक आम ब्लड ग्रुप है।
एमसीआई ने यह कहते हुए आवेदन को खारिज कर दिया कि इसमें केंद्रीय सूचना अधिकारी की राय जानने की कोशिश की गई है, जो 'आरटीआई अधिनियम के तहत' सूचना की परिभाषा के दायरे में नहीं आती है।
हर बार जांच में निकला अलग ब्लड ग्रुप
आरटीआई आवेदक राहुल चित्रा केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष सुनवाई के लिए उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि उनकी आगरा में चार पैथोलॉजिकल लैब और जिला अस्पताल में ब्लड टेस्ट हुए। जांच में दर्शाया गया कि उनके दो तरह के ब्लड ग्रुप हैं- बी पॉजीटिव और बी नेगेटिव। उन्होंने कहा कि दिल्ली के पंत अस्पताल में की गई जांच में उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजीटिव पाया गया।