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आठवां फेरा : समानता के वचन से पति-पत्नी के सपने पूरे होंगे

पति-पत्नी के रिश्ते को समर्पित करवाचौथ को खास बनाने के लिए हिन्दुस्तान के गुरुग्राम कार्यालय में सोमवार को अनूठी मुहिम आठवां फेराके तहत एक विशेष संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें महिलाओं ने...

आठवां फेरा : समानता के वचन से पति-पत्नी के सपने पूरे होंगे
Praveen Sharma गुरुग्राम। हिन्दुस्तान टीम , Tue, 15 Oct 2019 06:49 AM
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पति-पत्नी के रिश्ते को समर्पित करवाचौथ को खास बनाने के लिए हिन्दुस्तान के गुरुग्राम कार्यालय में सोमवार को अनूठी मुहिम आठवां फेराके तहत एक विशेष संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें महिलाओं ने हिन्दुस्तान की मुहिम की सराहना करते हुए कहा कि करवाचौथ पर एक वचन समान अधिकार का लेने से न सिर्फ शादी के बाद शुरू होने वाला रिश्ता और मजबूत होगा, बल्कि दोनों जीवनसाथियों के सपने को उड़ान मिलेगी और वे पूरे होंगे।

गूगल कंपनी में काम कर चुकीं गुरुग्राम नगर निगम की पूर्व पार्षद निशा सिंह ने संवाद में कहा कि मैं व्यक्तिगत तौर पर मानती हूं कि करवाचौथ व्रत समानता पर आधारित नहीं है। उनका कहना है कि आखिरकार पत्नी ही क्यों व्रत रखे। निशा सिंह का कहना है कि पति-पत्नी दोनों को एक दूसरे के लिए व्रत रखना चाहिए, तभी बात बनेगी। सिंह ने कहा कि समाज हो या फिर परिवार समानता जरूरी है, तभी चीजें ठीक रहती हैं। 90 फीसदी से अधिक मामलों में महिलाएं ही समझौता करती हैं। अगर वे कामकाजी हैं तो पारिवारिक जिम्मेदारी आने पर करियर में ब्रेक लेती हैं, ऐसे में उनके सपने कहीं न कहीं अधूरे रहे जाते हैं।

आठवां फेरा मुहिम इसलिए भी ठीक है कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में समानता पर केंद्रित है। कामकाजी महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारी होने पर दोहरी शिफ्ट में काम करती हैं, ऐसे में उन्हें पति की तरफ से सहयोग मिलना चाहिए। समानता होगी तो सामूहिक तरक्की होगी, महिलाएं पीछे नहीं छूटेंगी।

सेक्टर-47 की निवासी पेशे से एडवोकेट रितु कपूर ने कहा कि ऐसे परिवार कम हैं जहां पर महिलाओं को समान अधिकार मिलते हैं, उन्होंने कहा कि आठवां फेरा मुहिम महिलाओं को सम्मान दिलाने की तरफ अच्छी कोशिश है। सही मायने में जब हम एक दूसरे के विचारों का सम्मान करें, और बराबर स्पेस दें तभी जीवनसाथी बन सकते हैं। ऐसा करने पर बदलाव आएगा। रिश्ता और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के पीछे रह जाने या फिर समझौता करने लेने के पीछे पूर्वाग्रह की भूमिका अधिक है। ऐसी परंपरा बनी हुई है कि महिला है तो उसे ही करना चाहिए। बच्चों की जिम्मेदारी हो या फिर परिवार को संभालने की बात इसमें पति-पत्नी दोनों की बराबर की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

पति पत्नी को सम्मान दे

डीएलएफ फेस-4 की निवासी निधि अरोड़ा ने कहा कि समाज में इन दिनों महिलाएं कामकाजी क्षेत्र में आगे बढ़ी हैं पर साथी का आदर पाने में पीछे रह गईं हैं। कामकाजी होने के बाद भी वाजिब सम्मान नहीं मिलता है। पत्नी को सम्मान देने की पहली जिम्मेदारी पति की है। 

महिलाओं का संघर्ष जारी

लंबे समय तक हरियाणा राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रही सुमन दहिया ने कहा कि महिलाएं अधिकारों के संघर्ष कर रही हैं, उन्हें जब समानता मिलेंगी तभी वे संतुष्ट होंगी। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें मान और सम्मान मिले। 

भेदभाव कम करने में परवरिश की भी भूमिका

डीएलएफ फेस-1 की निवासी संगीता कुमार ने कहा कि अब समाज में पुरुष और महिला का भेदभाव कम हुआ है, लेकिन पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी है दोनों को समान अवसर मिलें। उन्होंने कहा कि यह कोशिश अच्छी है। कुमार ने कहा कि समाज में लैंगिक समानता के लिए बच्चों की परवरिश पर ध्यान देने की जरूरत है। अगर बच्चों को शुरुआत से पता हो कि उन्हें महिलाओं की इज्जत करनी है। घर की देखरेख उनकी भी जिम्मेदारी है सिर्फ लड़कियों या महिलाओं की नहीं है तो आगे एक अच्छे समाज का निर्माण होगा।

सभी को बराबर जगह दें

डीलएलएफ फेस-5 की निवासी नीना भट्टाचार्जी ने कहा कि क्षेत्र विशेष के हिसाब स्थितियां अलग होती हैं, शहरों और महानगरों में महिलाओं की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है, लेकिन पूरी तरह से समानता नहीं आ पाई है। इसके लिए जरूरी है कि ऐसी कोशिश और बड़े पैमाने पर हो।

जिम्मेदारी आपस में बांटें

पार्क व्यू सिटी-1 निवासी सुनीता सोनी और प्रीति शर्मा ने ह्यहिन्दुस्तानह्ण की मुहिम की तारीफ की।  क्यों न करवाचौथ को दिन डे ऑफ अंडरस्टैंडिंग के तौर पर मनाया जाए। जहां पर पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति दायित्व को समझें और परिवार की जिम्मेदारी को आपस में बांट कर निभाएं।

महिलाओं की प्रतिक्रियाएं 

अभी भी 90 फीसदी मामलों में महिलाएं खुद को दबा हुआ महसूस करती हैं। वहां के लिए आठवां फेरा मुहिम क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। -सुमन दहिया, सिविल लाइंस 

पुरुष करियर में ब्रेक नहीं लेते, आखिर में तमाम जिम्मेदारियां महिलाओं के कंधे पर आती हैं। पहले महिलाएं कामकाजी नहीं थीं, वक्त के साथ चीजें बदली हैं। -निशा सिंह, ग्रीनवुड सिटी 

करवाचौथ पर व्रत अनिवार्य नहीं है, करवाचौथ पर समान अधिकार का वचन लेकर पति-पत्नी के रिश्ते को समर्पित इस पर्व को और खूबसूरत बनाया जा सकता है।  -रितु कपूर, एमटूके ऑरा

आठवें फेरे की मुहिम अच्छी है, लेकिन इसके साथ जरूरी है कि सात फेरे लेने के साथ उनकी भी अहमियत पता होनी चाहिए, ताकि इस पर्व की महत्ता बरकरार रहे। - नीना, डीएलएफ फेज-5

आठवां फेरा के साथ जरूरी है कि छोटे से छोटे काम में कोई भेद न रखा जाए। लड़का और लड़की दोनों सभी काम करें, तभी यह बदलाव सुनिश्चित होगा। -निधि, डीएलएफ फेस-4 

समानता से कई बातें सुनिश्चित होंगी। दोनों एक दूसरे के प्रति न सिर्फ अधिक जिम्मेदार और जवाबदेह बनेंगे, बल्कि तालमेल भी बेहतर होगा। -प्रीति शर्मा, पार्क व्यू सिटी-1

पति-पत्नी का रिश्ता विश्वास का होता है, यह आपसी सम्मान से और मजबूत बनता है। ये दोनों चीजें जितनी ज्यादा होंगी रिश्ता उतना लंबा चलेगा। -सुनीता, पार्क व्यू सिटी-1

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