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हिंदी न्यूज़ NCR'जांच एजेंसियां अपनी मर्जी और सनक से काम नहीं कर सकतीं...', दिल्ली की अदालत ने पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल

'जांच एजेंसियां अपनी मर्जी और सनक से काम नहीं कर सकतीं...', दिल्ली की अदालत ने पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल

दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि जांच एजेंसियां अपनी सनक और मनमर्जी के मुताबिक काम नहीं कर सकती हैं और अदालतों के पास शक्तियों के किसी भी दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त शक्ति है।

'जांच एजेंसियां अपनी मर्जी और सनक से काम नहीं कर सकतीं...', दिल्ली की अदालत ने पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल
Praveen Sharmaनई दिल्ली | भाषाSat, 04 Feb 2023 06:07 AM

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दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि जांच एजेंसियां अपनी सनक और मनमर्जी के मुताबिक काम नहीं कर सकती हैं और अदालतों के पास शक्तियों के किसी भी दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त शक्ति है।

अदालत ने यह भी कहा कि किसी जांच की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उसके पास इसकी निगरानी और पर्यवेक्षण की शक्ति है और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से उम्मीद की जाती है कि वे “जांच अधिकारियों के स्पष्ट रूप से अनुचित आचरण को उचित ठहराने” के बजाय जांच तंत्र में सुधार करेंगे।

अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा, “जांच एजेंसियां अपनी सनक और मर्जी के अनुसार कार्य नहीं कर सकती हैं और अदालतों के पास जांच एजेंसियों द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त अधिकार हैं।”

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कृष्ण अग्रवाल ने फहीम नाम के एक शख्स की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणियां कीं। दिल्ली पुलिस ने फहीम के खिलाफ चोरी, यौन हमला और आपराधिक धमकी समेत विभिन्न अपराधों में एफआईआर दर्ज की थी।

पुलिस के अनुसार, आरोपी कथित तौर पर मुख्य आरोपी महफूज के सहयोगियों में से एक था और उसने कथित तौर पर शिकायतकर्ता की झुग्गी में घुसकर चोरी की और उसकी पत्नी का यौन उत्पीड़न किया।

अदालत ने कहा कि मुख्य आरोपी महफूज को इस मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है और आरोपी (फहीम) के खिलाफ मामला कम गंभीर है। अदालत ने कहा कि वर्तमान जांच अधिकारी (आईओ) कोई और सबूत पेश नहीं कर सका जिससे एफआईआर में फहीम के खिलाफ लगाए गए आरोपों की पुष्टि हो सके।

अदालत ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा, “शिकायतकर्ता की पत्नी का बयान... पहले ही दर्ज किया जा चुका है, इसलिए आरोपी को केवल इस कारण से हिरासत में भेजने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि इसके लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।”