कंपनी की जिम्मेदारी या निगम की निगरानी, अरावली में किसकी लापरवाही से बह रहा जहरीला पानी
अरावली के अंदर तक बह रहा है जहरीला पानी बंधवाड़ी प्लांट में बने कूड़े के पहाड़ों से रीसकर काला पानी(लीचेट) अरावली के जंगलों में बह रहा है। जहरीला पानी अरावली में एक किलोमीटर अंदर तक पहुंच गया है।
गुरुग्राम के बंधवाड़ी प्लांट में बना कूड़े का पहाड़ पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों के लिए भी नुकसान पहुंचा रहा है। इसको लेकर बार-बार पर्यावरणविद् प्रदूषण कंट्रोल विभाग से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) तक शिकायत कर रहे हैं। लगातार शिकायतों के बाद भी यह किसकी लापरवाही के कारण बह रहा है, निगम अधिकारी अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं।
हालांकि बीते सप्ताह निगमायुक्त ने इसका जिम्मेदार ईको ग्रीन कंपनी को ठहराते हुए उसे नोटिस जारी किया है और कहा कि अरावली में बह रहे लीचेट को लेकर आगे कोई भी कार्रवाई होगी तो इसका जिम्मेदार ईको ग्रीन कंपनी होगी। वहीं इस पत्र के जवाब में ईको ग्रीन कंपनी ने भी पल्ला झाड़ लिया है। कंपनी ने कहा कि अरावली में बह रहे लीचेट को लेकर निगम की एजेंसी जिम्मेदार है ना की ईको ग्रीन कंपनी। ऐसे में अब लीचेट को लेकर फिर से निगम और ईको ग्रीन कंपनी के बीच ठन गई है। पर्यावरणविदों का आरोप है कि कंपनी और निगम के बीच इस खींचतान के कारण पर्यावरण और वन्य जीवों को इसका नुकसान हो रहा है।
अरावली के अंदर तक बह रहा है जहरीला पानी बंधवाड़ी प्लांट में बने कूड़े के पहाड़ों से रीसकर काला पानी(लीचेट) अरावली के जंगलों में बह रहा है। पर्यावरणविद वैशाली राणा ने बताया कि पहले यह जहरीला पानी बंधवाड़ी प्लांट के आसपास ही रीसकर पहुंचता था, लेकिन निगम अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब यह जहरीला पानी अरावली में नदियों के तरह एक किलोमीटर अंदर तक पहुंच गया है। पर्यावरणविदों की शिकायत के बाद यहां प्रधान महालेखाकार (पीएजी) की टीम ने बंधवाड़ी प्लांट का दौरा भी किया है। ऐसे में अब निगम ने एनजीटी की कार्रवाई से बचने के लिए ईको ग्रीन कंपनी को इसका जिम्मेदार ठहराया है।
निगम ने कंपनी को नोटिस भेजकर बताया जिम्मेदार निगमायुक्त पीसी मीणा की तरफ से कंपनी को भेजे गए नोटिस में लिखा है कि सोशल मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से निगम के संज्ञान में आया है कि बंधवाड़ी लैंडफिल साइट से लीचेट आसपास के वन क्षेत्र व गांवों में बह रहा है। सभी तालाबों से बहकर आने वाले और निकटवर्ती वन क्षेत्र में जमा होने वाले लीचेट पानी के मुद्दे को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया है। आपकी ओर से की गई इस लापरवाही के कारण गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) के लिए गंभीर समस्याएं पैदा हो गई हैं। इसके अलावा, डीटीआरओएस और एलटीपी दोनों क्षमता से कम काम कर रहे हैं और पिछले कुछ समय से निष्क्रिय पाए गए हैं।
कंपनी का जवाब: निगम एजेंसियों है जिम्मेदार
वहीं इस नोटिस के बाद ईको ग्रीन कंपनी भी हरकत में आ गई है। ईको ग्रीन कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि निगम के इस नोटिस का कंपनी ने जवाब दे दिया है। कंपनी ने कहा कि नगर निगम कंपनी के रिस्क एंड कोस्ट पर काम अन्य एजेंसियों से करवा रहा है। बंधवाड़ी में पुराने कचरे का निस्तारण करने का काम निगम ने चार निजी एजेंसियों को दिया हुआ है। उनके टेंडर में भी लीचेट का प्रबंध उन्हीं को ही करना है, लेकिन गांव के सरकारी रास्ते पर इन एजेंसियों ने कब्जा करके वहां कूड़े के ढेर लगा दिए हैं।
सेनेटरी लैंडफिल साइट के पीछे स्थित प्राकृतिक तालाब में लीचेट का प्रवाह शुरू हो गया है। यह चिंता का विषय है क्योंकि एनजीटी और मानवाधिकार आयोग ने लीचेट के प्रबंधन के लिए कई बार निर्देश जारी किए हैं। बार-बार, लिखित संचार और मौखिक रूप से, हमने इस मुद्दे के बारे में कई बार सूचित किया है।
पर्यावरणविद वैशाली राणा ने बताया कि अरावली में बह रहे लीचेट का जिम्मेदार निगम है, क्योंकि ईको ग्रीन हो या अन्य एजेंसी काम तो निगम ने ही दिया हुआ है। निगम की तरफ से इन एजेंसियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। निगम अधिकारी कई-कई माह तक बंधवाड़ी प्लांट पर ही नहीं जाते हैं।
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