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दिल्ली : यमुना को नया जीवन देगी नेपाल की शारदा नदी

भारत व नेपाल के बीच की देश की बहुउद्देशीय पंचेश्वर परियोजना भविष्य में दिल्ली की प्यास बुझाएगी। नेपाल से आने वाली शारदा नदी को यमुना के साथ जोड़ने के बाद ही दिल्ली वालों को इसका लाभ मिल सकेगा। यह देश...

दिल्ली : यमुना को नया जीवन देगी नेपाल की शारदा नदी
नई दिल्ली। विशेष संवाददाताThu, 22 Mar 2018 08:22 AM
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भारत व नेपाल के बीच की देश की बहुउद्देशीय पंचेश्वर परियोजना भविष्य में दिल्ली की प्यास बुझाएगी। नेपाल से आने वाली शारदा नदी को यमुना के साथ जोड़ने के बाद ही दिल्ली वालों को इसका लाभ मिल सकेगा। यह देश की प्रमुख पर्यावरण पर्यटन परियोजना भी होगी। देश के साथ उत्तराखंड के लिए यह परियोजना बेहद उपयोगी होगी। इससे इस नए पड़ाही राज्य को बिजली, पानी व रोजगार के साथ बड़ी संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक भी मिलेंगे। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो चुकी है और दोनों देशों के विशेषज्ञों की टीम इसका अध्ययन कर रही है। 

दो दशक पहले महाकाली जल संधि के जरिए भारत व नेपाल ने शारदा नदी पर पंचेश्वर बांध परियोजना पर काम शुरू किया था। लेकिन इसके काम में तेजी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 में नेपाल दौरे के बाद से आई। जल संसाधन मंत्रालय से जुड़ी वाटर एंड पावर कंसलटेंसी सर्विसेज (वापकोस) ने इसकी डीपीआर तैयार की है। अब इसके अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की 26 सदस्यीय टीम बनाई गई है। इसमें भारत के आठ व नेपाल के 18 सदस्य होंगे। इसकी कम से कम चार बैठकें होगी, जिसके बाद वह अपनी रिपोर्ट दोनों देशों को देगी। 

अतिरिक्त पानी से साफ होगी यमुना

इस परियोजना का लाभ दिल्ली तक पहुंचेगा। परियोजना के बाद यमुना में अतिरिक्ति  पानी आएगा और दिल्ली में नाले में तब्दील हुई यमुना पानी का प्रवाह बढ़ने से साफ भी होगी। इससे दिल्ली में ताजे पानी की आपूर्ति भी बढ़ाई जा सकेगी। अभी दिल्ली में पानी की कमी को दूर करने के लिए गंगा नहर से कुछ क्षेंत्रों में पानी लाया जा रहा है। 

परियोजना पूरी होने पर होगा साढ़े चार हजार करोड़ का सालाना लाभ 

परियोजना की कुल लागत 33108 करोड़ रुपए है, जिसका 62.3 फीसद हिस्सा भारत व बाकी नेपाल वहन करेगा। इससे 5050 मेगवाट बिजली भी पैदा होगी और 4.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं हालिस होगी। भारत में करीब 2.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र र्को ंसचाई सुविधा मिलेगी। परियोजना पूरी होने पर 4592 करोड़ का सालाना लाभ होगा। इसमें 3665 करोड़ रुपए का बिजली लाभ व 837 करोड़ रुपए का सिंचाई लाभ होगा। साथ 90 करोड़ रुपए का लाभ बाढ़ के नुकसान से बचने से होगा। 

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