प्रत्येक गर्भवती महिला का COVID-19 टेस्ट कराना जरूरी नहीं : दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया
दिल्ली सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपना जवाब दाखिल करते हुए बताया कि प्रत्येक गर्भवती महिला को कोरोना (COVID-19) टेस्ट कराना जरूरी नहीं है जब तक कि उसके किसी संक्रमित मरीज के संपर्क...
दिल्ली सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपना जवाब दाखिल करते हुए बताया कि प्रत्येक गर्भवती महिला को कोरोना (COVID-19) टेस्ट कराना जरूरी नहीं है जब तक कि उसके किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने का संदेह न हो। एक ताजा हलफनामे में, दिल्ली सरकार ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि कोई गर्भवती महिला COVID-19 टेस्ट के मानदंडों को पूरा करती है तो उसका टेस्ट किया जाना चाहिए, लेकिन उसके टेस्ट के कारण प्रसूति प्रबंधन के काम में देरी नहीं होगी।
वकील निखिल सिंघवी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका (पीआईएल) में गर्भवती महिलाओं के कोविड-19 टेस्ट को प्राथमिकता देने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि किसी भी गर्भवती महिला को तब तक COVID-19 टेस्ट कराना अनिवार्य नहीं है, जब तक कि उसमें COVID-19 के लक्षण या उसके किसी कोरोना मरीज के संपर्क में आने की पुष्टि नहीं हो जाती है।
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चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने हलफनामे में कही गई बातों पर ध्यान देने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता के आवेदने को संबोधित करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। बेंच ने कहा कि हम मामले में कोई और निर्देश जारी करने का कोई कारण नहीं देखते हैं। इसलिए याचिका का निपटारा किया जाता है।
दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि COVID-19 महामारी ने बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया है, और भारत के पास सीमित संसाधनों के साथ एक बड़ी आबादी है। हम ICMR द्वारा बनाई गई रणनीति का पालन कर रहे हैं।
बता दें कि, हाईकोर्ट ने पहले दिल्ली सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि क्या डिलीवरी के लिए अस्पताल में जाने वाली गर्भवती महिलाओं को COVID-19 टेस्ट कराना आवश्यक है क्योंकि वह रिपोर्ट आने का इंतजार नहीं कर सकती।
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