दिल्ली दंगे : दिलबर नेगी हत्याकांड के 3 आरोपियों की जमानत नामंजूर, कोर्ट ने कहा- घटनास्थल पर हुई हिंसा भयावह थी
उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने सोमवार को दिलबर नेगी की हत्या के 3 आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि घटनास्थल पर हुई हिंसा भयावह थी,...
उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने सोमवार को दिलबर नेगी की हत्या के 3 आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि घटनास्थल पर हुई हिंसा भयावह थी, इसमें निर्दोष लोगों की जान और जनता की संपत्ति को नुकसान हुआ। इस स्तर पर आरोपियों को जमानत देने और उनकी रिहाई से जांच में बाधा आ सकती है।
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में फरवरी में हुए दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपनी चार्जशीट में दिलबर नेगी की हत्या के मामले में 12 लोगों को आरोपी बनाया है। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मुस्लिम भीड़ ने हिंदुओं की संपत्तियों को निशाना बनाते हुए एक युवक दिलबर नेगी को मिठाई की दुकान के अंदर कथित रूप से जिंदा जला दिया था।
वो सभी आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, जिन पर हत्या, दंगा, धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं।
North East Delhi violence: A Delhi Court while dismissing bail pleas of 3 accused in killing of Dilbar Negi stated that violence at crime scene was horrific, loss of innocent lives & damage to property of public was enormous. Their release at this stage may hamper investigation.
— ANI (@ANI) July 27, 2020
चार्जशीट के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की एक भीड़ ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के बृजपुरी पुलिया की तरफ से आई और हिंदुओं की संपत्तियों को निशाना बनाते हुए दंगा करना शुरू कर दिया और 24 फरवरी की देर रात तक उनमें आगजनी करती रही।
पुलिस ने कहा कि भीड़ ने अनिल स्वीट्स नाम की एक दुकान में लगा दी थी, जहां से पुलिस ने 26 फरवरी को दिलबर नेगी का शव बरामद किया था। हत्या के वक्त नेगी लंच करने के लिए दुकान के गोदाम में गया था और बाद में वहां आराम कर रहा था।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के दौरान डीआरपी स्कूल और राजधानी पब्लिक स्कूल के पास कर्दमपुरी, मौजपुर, चांद बाग और शिव विहार तिराहे से दंगे शुरू होकर उत्तर-पूर्वी जिले के विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंच गए। दोपहर 3.00 बजे बृजपुरी पुलिया की तरफ से आई मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ ने दंगा करना शुरू कर दिया।
चार्जशीट में कहा गया है कि दंगाइयों ने हिंदुओं की अनिल स्वीट्स, अनिल डेयरी, पेस्ट्री शॉप, किताब की दुकान, डीआरपी स्कूल और अनिल स्वीट्स के गोदाम आदि कई सम्पत्तियों को निशाना बनाते हुए देर रात तक आग लगा दी। देर रात तक एक ही उपद्रवी समुदाय हावी रहा।
दिल्ली दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे।
इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।