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नोएडा पुलिस ने यमुना प्राधिकरण भूमि घोटाले की जांच रोकी, SSP ने बताई ये वजह

यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में हुए 126 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच नोएडा पुलिस ने रोक दी है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने शासन को पत्र भेजकर जांच किसी अन्य एजेंसी से करवाने का...

नोएडा पुलिस ने यमुना प्राधिकरण भूमि घोटाले की जांच रोकी, SSP ने बताई ये वजह
नोएडा | पंकज पाराशरTue, 05 Feb 2019 02:03 PM
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यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में हुए 126 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच नोएडा पुलिस ने रोक दी है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने शासन को पत्र भेजकर जांच किसी अन्य एजेंसी से करवाने का आग्रह किया है। दरअसल, बीते शनिवार की रात सीबीआई ने इस मामले में आरोपी तहसीलदार रणवीर सिंह और एक सीबीआई इंस्पेक्टर को घूसखोरी में रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।

126 करोड़ रुपये के घोटाले में तहसीलदार और CBI इंस्पेक्टर गिरफ्तार

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने बताया, यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भूमि अधिग्रहण घोटाले की जांच ग्रेटर नोएडा के सीओ निशांक शर्मा कर रहे थे। हालांकि, शासन इस मामले की जांच पहले ही सीबीआई को दे चुका है, लेकिन सीबीआई ने अभी तक जांच शुरू नहीं की थी। अब शनिवार की रात सीबीआई ने अपने इंस्पेक्टर और घोटाले के सह अभियुक्त तहसीलदार रणवीर सिंह को रिश्वत लेने-देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।

एसएसपी ने कहा, ऐसे में घोटाले की जांच यहां करवाने का कोई औचित्य नहीं है। मैंने शासन को पत्र लिखा है कि अब जांच पुलिस नहीं करेगी। शासन सीबीआई या सीबीसीआईडी से जांच करवा सकता है।

सीबीआई घोटाले की जांच शुरू करेगी

उत्तर प्रदेश सरकार ने 14 जुलाई 2018 को 126 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की संस्तुति कर दी थी। प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन डा. प्रभात कुमार ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाई थी। प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीसी गुप्ता को ग्रेटर नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जानकारी के मुताबिक शनिवार को हुई गिरफ्तारियों और जांच अधिकारी सीओ से पूछताछ के बाद घोटाले की जांच पर सवाल खड़े हो गए हैं। लिहाजा, मामले की जांच सीबीआई खुद शुरू करेगी। 

यह है मामला

जांच में पाया गया था कि प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता ने अफसरों, परिचितों व रिश्तेदारों के साथ मिलकर 19 शेल कंपनियां बनाई थीं। इन कंपनियों के माध्यम से मथुरा जिले के सात गांवों में 57 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई। इसके बाद जमीन प्राधिकरण को बेच दी गई जबकि इसकी उपयोगिता नहीं है।

तहसीलदार की प्राधिकरणों में धमक रही 

ग्रेटर नोएडा (सुनील पाण्डेय) | सीबीआई की गिरफ्त में आए तहसीलदार रणबीर सिंह ने जनपद के तीनों प्राधिकरण में तैनात रहे। जिस भी प्राधिकरण में वह रहे, उनकी धमक बरकरार रही। यमुना प्राधिकरण में जमीन खरीद घोटाले में भी मुख्य भूमिका रणबीर की ही मानी जा रही है। 

यमुना प्राधिकरण में 126 करोड़ के जमीन खरीद घोटाले में सीबीआई तक मामला पहुंचने से पहले ही बचने की जुगत शुरू हो गई थी। यह खुलासा सीबीआई की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट में सामने आया है। तहसीलदार रणबीर सिंह जनपद के तीनों प्राधिकरण में तैनाती रही। नौकरी का अधिकतर समय रणबीर ने जनपद में ही बिताया है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण में तैनाती के समय जमीन की खरीदारी खूब हुई। यमुना प्राधिकरण में तो लोन लेकर जमीन खरीदी गई। इसी खरीद में गड़बड़ी की गई। जमीन खरीद घोटाले में रणबीर की मुख्य भूमिका सामने आ रही है। कहां पर जमीन खरीदनी है, इसकी पहले की पटकथा लिख दी जाती थी। नेता से लेकर अफसर तक उसी हिसाब से जमीन खरीदने लगते।

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