नोएडा : स्पोर्ट्स सिटी के 15 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री में और देरी, जानें कहां है अड़चन
बीते 10-15 साल पहले अलग-अलग पांच सेक्टरों में स्पोर्ट्स सिटी परियोजना लाई गई थी। सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में बिल्डरों को जमीन दी गई। प्राधिकरण ने इसके लिए बिल्डरों को सस्ते दामों पर जमीन दी थी।
नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के 15 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री में और देरी हो सकती है। लोक लेखा समिति ने बिल्डर और प्राधिकरण अधिकारियों को परियोजना में खेल सुविधाएं विकसित करने समेत आ रहीं अन्य अड़चनों को दूर करने के निर्देश दिए थे। निर्देश के पांच माह बाद भी इस पर कोई काम नहीं हुआ, इसीलिए फ्लैटों की रजिस्ट्री अटकी हुई है। इस परियोजना में लोग करीब सात वर्ष से रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे हैं।
लोक लेखा समिति ने प्राधिकरण अधिकारियों को निर्देश दिया था कि प्लॉट संख्या-एससी-02, सेक्टर-150 वाली परियोजना को आगे बढ़ाएं। यहां जरूरत के हिसाब से जमीन उपलब्ध है और अंतरराष्ट्रीय खेल सुविधाएं विकसित हो सकती हैं। ऐसे में खेल सुविधाएं विकसित करा इसको पूरा कराएं। यहां पर जो रुकावटें हैं, उनको बिल्डर-प्राधिकरण अधिकारी मिलकर दूर करें। अधिकारियों की ओर से दावा किया जाता रहा कि आचार संहिता लगने से पहले बोर्ड बैठक कर इसमें समाधान के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा। अब आचार संहिता लग चुकी है। ऐसे में चार जून के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी।
सीएजी ने पकड़ी गड़बड़ी : बीते 10-15 वर्ष पहले अलग-अलग पांच सेक्टरों में स्पोर्ट्स सिटी परियोजना लाई गई थी। सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में बिल्डरों को जमीन दी गई। प्राधिकरण ने इसके लिए बिल्डरों को सस्ते दामों पर जमीन दी थी। इसमें 70 प्रतिशत हिस्से में खेल सुविधाएं, 28 में आवासीय और 2 प्रतिशत में व्यावसायिक गतिविधि की जा सकती हैं, लेकिन यहां पर बिल्डरों ने मुनाफे के लिए खेल की बजाए अधिकांश हिस्से में फ्लैट और व्यावसायिक गतिविधियां कीं। सीएजी ने वर्ष 2005 से लेकर 2017 तक के कामकाज की जांच की।
जांच में सामने आया कि स्पोर्ट्स सिटी के लिए जमीन आवंटित करने में नोएडा प्राधिकरण को 8643 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके बाद लोक लेखा समिति ने इसकी सुनवाई शुरू कर दी।
जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई नहीं
बिल्डरों को फायदा पहुंचाने वाले और मौके पर परियोजना की ठीक ढंग से जांच न करने वाले किसी भी अफसर पर अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है। लेखा समिति के निर्देश पर एक साल पहले अप्रैल में ही शासन ने जिम्मेदार अफसरों को चिह्नित करने के लिए नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ प्रभाष कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी, लेकिन इस कमेटी ने चार महीने तक कुछ नहीं किया। इसके बाद लेखा समिति ने सितंबर में शासन को उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए। अब तक कमेटी का गठन नहीं हो सका है।
‘अमिताभकांत कमेटी की सिफारिशें यहां भी लागू हों’
अमिताभकांत समिति की सिफारिशें लागू होने के बाद बिल्डरों को कोरोना काल के दौरान 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक के दौरान जीरो पीरियड का लाभ दिया गया। इससे बिल्डरों का बकाया कम हो गया। इस लाभ से स्पोर्ट्स सिटी को बाहर रखा गया। खरीदारों का कहना है कि इस योजना में स्पोर्ट्स सिटी के ग्रुप हाउसिंग के हिस्से को शामिल किया जाना चाहिए।
खरीदार बोले
1. स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में फ्लैट ले चुके संवरजीत सिंह का कहना है कि प्राधिकरण अधिकारियों को चाहिए कि उनकी दिक्कतों को समझते हुए जल्द रजिस्ट्री कराएं।
2. कपिल कुमार का कहना है कि करीब पांच साल से फ्लैट की रजिस्ट्री के इंतजार में हूं। बिल्डरों की लापरवाही का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है।
-मनोज कुमार सिंह, औद्योगिक विकास आयुक्त, ''स्पोर्ट्स सिटी परियोजना का समाधान निकालने के लिए प्रयास चल रहे हैं। आचार संहिता समाप्त होने के बाद इसको आगे बढ़ाया जाएगा।''