Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Noida Fake Firms Fraud Racket : Fraud of Rs 15 thousand crores by creating more than 2600 fake companies with fake documents

विजय माल्या और नीरव मोदी को भी पीछे छोड़ा, 2600 फर्जी कंपनी और 15000 करोड़ का घोटाला

हजारों लोगों के डेटा और जाली दस्तावेजों के आधार पर 15 हजार करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। इस गिरोह ने फर्जी कंपनियां बनाकर देशभर में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।

Praveen Sharma नोएडा। हिन्दुस्तान, Fri, 2 June 2023 02:25 AM
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भारत के भगोड़े कारोबारियों विजय माल्या और नीरव मोदी को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली से सटे नोएडा में अब करीब 15 हजार करोड़ का घोटाला सामने आया है। नोएडा पुलिस ने हजारों लोगों के पैन कार्ड के डेटा और जाली दस्तावेजों के आधार पर 15 हजार करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा किया है। इस गिरोह ने फर्जी कंपनियां (Shell Companies) बनाकर देशभर में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया। नोएडा पुलिस ने मामले में सरगना समेत आठ को गिरफ्तार किया है। बता दें कि, विजय माल्या पर 9 हजार करोड़, जबकि नीरव मोदी पर 14 हजार करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड का आरोप है।

नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने गुरुवार को बताया कि आरोपी दिल्ली-गाजियाबाद के तीन स्थानों पर ऑफिस खोलकर फर्जीवाड़ा कर रहे थे। आरोपियों के पास से फर्जी दस्तावेजों से तैयार 2600 से अधिक कंपनियों की सूची भी मिली है। पुलिस ने सरगना दीपक मुरजानी, विनीता, अश्वनी, यासीन, आकाश सैनी, राजीव, अतुल और विशाल को दिल्ली से गिरफ्तार किया है।

जांच में आठ हजार लोगों के पैन की डिटेल के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए हैं। इस गिरोह ने पांच साल में सरकार को करीब 15 हजार करोड़ का राजस्व नुकसान पहुंचाया है। गिरोह फर्जी कंपनी और फर्जी जीएसटी नंबर के आधार पर जीएसटी रिफंड ले लेता था। मार्च में मिली शिकायत के बाद पुलिस की तीन टीमों ने जांच कर गिरोह का खुलासा किया है।

ढाई हजार फर्जी कंपनियों के जरिए धोखाधड़ी

सेक्टर-20 पुलिस की ओर से पकड़ा गया ठग गिरोह 2660 फर्जी कंपनियों के जरिये देशभर में फर्जीवाड़ा कर रहा था। गिरोह में शामिल आठ आरोपियों से आठ लाख लोगों के पैन कार्ड के ब्योरे समेत फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने पश्चिम बंगाल, दिल्ली, गाजियाबाद और चंडीगढ़ में छापेमारी की।

पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि गिरोह में 50 से अधिक लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली है, जो देश के अलग-अलग हिस्से में बैठकर आरोपियों के साथ ठगी कर रहे थे। जांच में आरोपियों से 12 लाख 66 हजार रुपये नगद, 32 मोबाइल, चार लैपटॉप, 118 फर्जी आधार कार्ड, तीन कार, फर्जी जीएसटी नंबर के साथ ही अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

इस तरह तैयार कराते थे फर्जी दस्तावेज : पुलिस कमिश्नर ने बताया कि आरोपी सबसे पहले फर्जी कंपनी और जीएसटी नंबर हासिल करने के लिए निजी वेबसाइट और अन्य आउसोर्सिंग कंपनियों के जरिए लोगों के पैन कार्ड का डाटा हासिल करते थे। उन्होंने बताया कि इसके बाद आरोपी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को कुछ रुपये का लालच देकर उनके आधार कार्ड में अपने नंबर को रजिस्टर्ड करा देते थे। इस प्रकार से एक ही व्यक्ति से मिलते-जुलते नामों के सैकड़ों लोगों के आधार कार्ड में संशोधन कर फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इस काम को गिरोह का सरगना दीपक मुरजानी और उसकी पत्नी विनीता और उनके साथी करते थे। उन्होंने बताया कि इसके बाद इन्हीं दस्तावेजों से फर्जी कंपानियां और उनकी जीएसटी नंबर हासिल करते लेते थे, जिसको आरोपी उसके साथ शामिल किए गए चार्टर्ड अकाउंटेंट को बेच देते थे। 

गिरोह में सबका अलग-अलग काम था

1. दीपक मुरजानी यह मास्टर माइंड है, जो गैंग को संचालित करता था। यह फर्जी दस्तावेज, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, बिजली बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैयार कराता था तथा तैयार की गई फर्जी फर्म की बिक्री के लिए क्लाइंट तलाशने का कार्य करता था। इसके द्वारा फर्म बेचने के मोटे रुपये लिए जाते थे। इन फर्म में फर्जी पैन कार्ड लिंक होता था और उस पैन कार्ड से जीएसटी नंबर बनाए जाते थे।

2. यासीन शेख यह फर्म रजिस्टर्ड कराने की प्रक्रिया और उस फर्म का जीएसटी बनाने की प्रक्रिया से से वाकिफ होता था। यह पूर्व में मुंबई में वेबसाइट तैयार करने का कार्य करता था। यह अपने साथ कुछ युवाओं को रखता था, जिन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित करता था। इसके द्वारा निजी कंपनी के माध्यम से डाटा लेकर फर्जी तरीके से फर्म बनाई जाती थी।

3. विशाल यह अशिक्षित एवं नशा करने वाले लोगों को रुपये का लालच देकर एवं भ्रमित कर अपने फर्जी नंबरों को आधार कार्ड में अपडेट कराने का कार्य करता था।

4. आकाश यह भी अशिक्षित और नशा करने वाले लोगों को रुपये का लालच देकर फर्जी नंबरों को आधार कार्ड में अपडेट कराता था।

5. राजीव यह सहयोगी अतुल के साथ जरूरत के अनुसार फर्जी बिल तैयार तथा विक्रय करता था।

6. अतुल यह राजीव के कहने पर ही फर्जी बिल तैयार करने का कार्य करता था।

7. अश्वनी यह यासीन शेख के संपर्क में रहकर फर्जी फर्म के लिए फर्जी बैंक अकाउंट खुलवाता था। यह एक खाता खुलवाने के दस हजार रुपये लेता था।

8. विनीता यह सरगना दीपक की पत्नी है। यह प्रथम टीम द्वारा तैयार की गई फर्जी फर्म को विक्रय करने का कार्य करती थी। जीएसटी रिफंड (आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट) से होने वाली आय का लेखा-जोखा रखना एवं टीम से जुड़े आरोपियों के खर्चे आदि के प्रबंधन का कार्य करती थी।

गिरोह में 12 सीए शामिल

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि गिरोह के सरगना दीपक मुरजानी द्वारा तैयार की गई फर्जी कंपनी और जीएसटी नंबर को गिरोह में शामिल 12 सीए हासिल कर लेते थे। इसके बाद वे पूरे देश में फैले उनके क्लाइंट को कम दरों में जीएसटी इनपुट क्रेडिट रिफंड और ब्लैक मनी को व्हाइट कराने के लुभावने ऑफर देते थे। वे सरकार से लाखों रुपये का इनपुट क्रेडिट का रिफंड भी अलग-अलग तरीके से ले लिया करते थे। गिरोह के सीए इन कंपनियों का जीएसटी बिल भी बेच देते थे।

लक्ष्मी सिंह, (पुलिस कमिश्नर, गौतमबुद्ध नगर) ने कहा, ''फर्जी कंपनी बनाकर सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान पहुंचाने वाले गिरोह का खुलासा किया गया है। फरार आरोपियों की तलाश में पुलिस जुटी है। मामले की जांच के लिए जीएसटी विभाग के साथ ही अन्य एजेसियों को भी सूचित किया है।''  

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