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नौ साल बाद पिता को बालगृह में मिले बिछड़े हुए चारों बच्चे, जानिए पूरा मामला

बालगृह और अनाथालय में जिंदगी गुजारने वाले चार बच्चों को नौ साल बाद अपने पिता का प्यार नसीब हुआ। गाजियाबाद निवासी देवीलाल पर पत्नी की हत्या का आरोप लगा और उनका पूरा परिवार बिखर गया। परिवार के चार...

नौ साल बाद पिता को बालगृह में मिले बिछड़े हुए चारों बच्चे, जानिए पूरा मामला
मेरठ | विनय शर्माWed, 03 Mar 2021 01:45 PM
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बालगृह और अनाथालय में जिंदगी गुजारने वाले चार बच्चों को नौ साल बाद अपने पिता का प्यार नसीब हुआ। गाजियाबाद निवासी देवीलाल पर पत्नी की हत्या का आरोप लगा और उनका पूरा परिवार बिखर गया।

परिवार के चार बच्चों को पहले आशा ज्योति केंद्र और इसके बाद बाल शिशु गृह भेज दिया गया। जेल से छूटने के बाद देवीलाल ने बच्चों की तलाश शुरू की, लेकिन उनका कुछ पता नहीं लगा। कई साल तलाश करने के बाद देवीलाल बच्चों के मिलने की उम्मीद छोड़ चुके थे। ऐसे में मेरठ चाइल्ड लाइन ने इन बच्चों के एक मार्मिक पत्र के बाद अपनी तरफ से तलाश शुरू की और छह माह की मशक्कत के बाद इन्हें पिता से मिला दिया।

गाजियाबाद के थाना सिहानी गेट के दौलतपुरा निवासी जगन्नाथ सिंह ने 31 जनवरी 2012 को पुलिस को सूचना दी कि उनके किरायेदार देवीलाल ने अपनी पत्नी रेखा के सिर में ईंट मारकर उसकी हत्या कर दी। जगन्नाथ की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया। देवीलाल का बड़ा बेटा रोहित(10) इस वारदात में चश्मदीद गवाह बना। देवीलाल के जेल जाने और पत्नी की मौत के कारण परिवार के पांचों बच्चों रोहित, शिवम, शिवा, शिवानी और मुन्नी को बाल कल्याण समिति गाजियाबाद ने तीन फरवरी 2012 से छह फरवरी तक आशा केंद्र में रखा। उसके बाद जब परिवार का कोई भी सदस्य उन्हें लेने के लिए नहीं आया तो सभी को बाल शिशु गृह रामपुर भेज दिया गया। रोहित चूंकि चश्मदीद था, इसलिए उसके मामा जीवन ने उसे अपनी सुपुर्दगी में ले लिया।

केस में हो गए बरी

देवीलाल इस मामले में डासना जेल भेजे गए थे। वर्ष 2013 में वह दोषमुक्त हो गए थे। कोर्ट में बेटे ने गवाही दी थी कि उनकी मां को पिता नें नहीं मारा। जेल से बाहर आने के बाद देवीलाल ने अपने बाकी चार बच्चों की तलाश शुरू की, लेकिन उन्हें पुलिस और सीडब्लूसी से कोई जानकारी नहीं मिल सकी। काफी साल तक तलाश करने के बाद देवीलाल थक चुके थे और अपने चारों बच्चों को मृत मान लिया था। 

सीडब्लूसी ने देवीलाल का पता निकाला

शिवा और शिवम के दस्तावेज में गाजियाबाद का जो पता दर्ज था, वहां परिवार का कोई सदस्य नहीं रह रहा था। ऐसे में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष महेश चंद शर्मा ने टीम के सदस्यों डॉ. हरिशचंद शर्मा, राजन त्यागी, अनीता राणा और नीलम सक्सेना को परिवार की तलाश में लगाया। राजन त्यागी चूंकि यूपी पुलिस में ही सीओ पद से रिटायर्ड हैं तो उन्होंने जासूस की तरह छानबीन की। उन्होंने डासना जेल से संपर्क किया तो पता चला कि देवीलाल वर्ष 2013 में ही रिहा हो गए थे। इसके बाद जेल से उन्होंने सेशन ट्रायल नंबर लिया और वकील के माध्यम से जजमेंट कॉपी से देवीलाल के बेटे रोहित का पता मालूम किया, जो अलीगढ़ के थाना दादो के कासमपुर गांव का था। गांव में कोई नहीं था, इसलिए देवीलाल के बाकी रिश्तेदारों से संपर्क किया, तब कहीं जाकर देवीलाल के बड़े भाई भूपसिंह से संपर्क किया जा सका और देवीलाल को खोज निकाला। 

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