शेल्टर होम पर NHRC ने लिया संज्ञान, पुलिस और सरकार को भेजा नोटिस; 4 हफ्ते में मांगा जवाब
दिल्ली के शेल्टर होम में हुई मौतों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सरकार और पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया है। आयोग ने उनसे चार हफ्तों में जावब देने को कहा है और इसे लापरवाही बताया है।
दिल्ली से आशा किरण शेल्टर होम में मौतों को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शनिवार को कहा कि उसने दिल्ली सरकार और शहर के पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया है। दोनों को उन रिपोर्टों के आधार पर नोटिस किया गया है जिनमें रोहिणी में मानसिक विकलांग लोगों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा संचालित शेल्टर होम में जुलाई के दौरान हुई मौतों की एक सीरीज को उजागर किया गया है। एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में मौत 'अधिकारियों की ओर से लापरवाही' को दिखाता है।
एनएचआरसी ने 15 जुलाई से 31 जुलाई के बीच मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह- आशा किरण में लोगों की मौत के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। जुलाई में मरने वाले 14 लोगों में से 13 वयस्क थे और एक नाबालिग था। इन सभी के लक्षण एक जैसे थे- दस्त और उल्टी। आयोग ने कहा कि कई अन्य लोगों का कथित तौर पर अस्पताल में इलाज चल रहा है।
आश्रय गृह की चिकित्सा देखभाल इकाई के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में 54 लोगों को इलाज के लिए बाहर भेजा गया था। आयोग ने कहा, इसने आश्रय गृह में 'चिंता पैदा कर दी। साथ ही उपेक्षा और रहने की खराब स्थिति के आरोपों को फिर से रिवाइव कर दिया है।' आयोग ने पाया कि रिपोर्ट में दी गई जानकारी अगर सच है, तो कथित रूप से भीड़भाड़ वाले आश्रय गृह में लोगों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा उठाया गया है।
बयान में कहा गया है कि आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें कहा गया है, 'इसमें मामले में एफआईआर की स्थिति, जिम्मेदार अधिकारियों या अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और अधिकारियों द्वारा उठाए गए या प्रस्तावित कदमों के बारे में जानकारी शामिल होने की उम्मीद है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।'
नोटिस में कहा गया है कि आश्रय गृह की क्षमता 500 लोगों को रखने की है, लेकिन अब कथित तौर पर इसमें 1,000 से अधिक लोग रह रहे हैं, जिसके कारण यहां भीड़भाड़ हो रही है। इसमें कहा गया है, 'कथित तौर पर, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी 2015 की रिपोर्ट में इस आश्रय गृह के कामकाज पर सवाल उठाए थे।'