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संपत्ति और जेवरात की सुरक्षा में लापरवाही बीमा के लाभ से करेगा आपको वंचित

बीमा कराने के बाद भी आप अपने घर की कीमती समानों और जेवरातों की सुरक्षा की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते। कीमती समानों और जेवरातों की सुरक्षा में यदि आप लापरवाही बरतते हैं तो आप बीमा के लाभ से...

संपत्ति और जेवरात की सुरक्षा में लापरवाही बीमा के लाभ से करेगा आपको वंचित
नई दिल्ली। प्रभात कुमारSun, 17 Oct 2021 06:01 AM

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बीमा कराने के बाद भी आप अपने घर की कीमती समानों और जेवरातों की सुरक्षा की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते। कीमती समानों और जेवरातों की सुरक्षा में यदि आप लापरवाही बरतते हैं तो आप बीमा के लाभ से वंचित हो जाएंगे। ऐसे ही एक मामले में दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी के हक में फैसला दिया है।

आयोग की अध्यक्ष जस्टिस संगीता धींगरा सहगल की अगुवाई वाली पीठ ने फैसले में कहा है कि ‘ तथ्यों से साफ है कि बीमा धारक ने अपने जेवरात से भरे बैग की सुरक्षा में लापरवाही बरती है।’ पीठ ने कहा है कि बीमा धारक ने बेटी की शादी समारोह में भी जेवरात की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई समुचित कदम नहीं उठाया और बैग को किसी हिफाजत के खाने की टेबल पर छोड़कर मंडप में चले गए, जो कि पॉलिसी की शर्ती संख्या 3 की अनदेखी है। आयोग ने कहा है कि ऐसे में पॉलिसी की शर्तों के तहत शिकायतकर्ता जेवरात के चोरी होने जाने पर बीमा का लाभ लेने के हकदार नहीं है। आयोग ने कहा है कि चूंकि शिकायतकर्ता ने अपने बीमित समान की सुरक्षा में लापरवाही बरती है, ऐसे में बीमा कंपनी को मुआवजा देने के लि, जिम्मेदार नहीं ठराया जा सकता है।

हाल ही में पारित फैसले में आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले के खिलाफ दाखिल बीमा धारक की शिकायत को खारिज करते हुए यह फैसला दिया है। जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले के खिलाफ 8 साल पहले दाखिल अपील का निपटारा करते आयोग ने यह फैसला दिया है।

यह है मामला

दरअसल, दिल्ली निवासी सुनील कुमार कुकरेजा ने 2005 में अपनी बेटी की शादी के लिए महंगी-महंगी जेवरात और अन्य समानों की खरीददारी की। उन्होंने इसके साथ ही घर के समानों और जेवरातों का बीमा कंपनी ‘दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी’ से बीमा कराया जो कि सितंबर, 2006 तक वैध था। आयोग में पेश मामले के अनुसार बीमा लेते वक्त कुकरेजा ने इस बात की घोषणा की थी कि जेवरात बेटी को गिफ्ट में देने लिए है। जून, 2006 में वह अपनी बेटी की शादी के लिए सूरत गुजरात चले गए। पेश शिकायत के अनुसार शादी के दिन सूरत के होटल से ज्वेलरी से भरा बैग चोरी हो गया और उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच की लेकिन जेवरात नहीं खोज पाए और अदालत में रिपोर्ट दाखिल कर दी।

बीमा कंपनी ने जेवरात की सुरक्षा में लापरावाही को आधार बनाकर मुआवजा देने से किया था इनकार

जब शिकायतकर्ता सुनील कुमार कुकरेजा ने जेवरात चोरी होने की जानकारी देकर बीमा कंपनी से मुआवजे की मांग की। बीमा कंपनी ने मामले की जांच के लिए अधिकारी नियुक्त किए और अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में कहा कि जेवरात से भरे बैग में की सुरक्षा में लापरवाही बरती गई है, ऐसे में बीमा धारक को मुआवजा नहीं दिया जा सकता। इसी आधार पर कंपनी ने कुकरेजा को बीमा का लाभ देने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने 2007 में जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की। करीब 5 साल बाद जिला फोरम ने उनकी शिकायत को खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दाखिल की। अब करीब 8 साल की लंबी सुनवाई के बाद आयोग ने भी उन्हें बीमा का लाभ देने से वंचित कर दिया।

क्या है बीमा शर्त संख्या-3

इसके तहत कहा गया है कि बीमा कराने के बाद भी संबंधित समानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बीमा धारक की होगी। यदि वे अपने समान की सुरक्षा के लिए समुचित कदम नहीं उठाते हैं तो बीमा के लाभ से वंचित रहेंगे।

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