गुरुग्राम के लिए गुरुवार का दिन दोहरी खुशी वाला रहा। दिव्यांशी की पेंटिंग को जहां गूगल ने बाल दिवस पर डूडल बनाया तो वहीं शहर की महिला पर्वतारोही संगीता बहल ने माउंट एवरेस्ट फतह करने का कारनामा 53 साल की उम्र में अपने नाम दर्ज किया। उनकी उपलब्धि लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो गई। वह सबसे अधिक उम्र में माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली महिला बन गईं।
संगीता ने पिछले साल 53 साल की उम्र में एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया था, तब संगीता की इस कामयाबी का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में किया था। अभी तक झारखंड की पर्वतारोही प्रेमलता अग्रवाल के नाम पर यह उपलब्धि दर्ज थी।
उन्होंने 48 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी और उसमें सफलता पाई थी। संगीता को यह सफलता दूसरे प्रयास में मिली, वह 2017 में सिर्फ कैंप-3 तक पहुंच पाई थीं। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और 2018 की माउंट एवरेस्ट प्रतियोगिता में भाग लिया। संगीता के पति भी पर्वतारोही हैं वह भी एवरेस्ट फतह कर चुके हैं।
47 की उम्र में की शुरुआत
संगीता ने पिछले साल 29,035 फुट ऊंची माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर पूरे देश में नाम रोशन किया था। 47 की उम्र में पर्वतारोही का सफर शुरू करने वाली संगीता ने बताया कि जब वह माउंट एवरेस्ट के शीर्ष पर पहुंची तो उन्हें महसूस हुआ कि दुनिया बहुत सुंदर है। इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस कठिन लक्ष्य को पाने के लिए जुनून के साथ बेहतर प्रशिक्षण होना जरूरी है। मन में आई कैन डू इट, का जज्बा हो तो मंजिल खुद करीब आ जाती है।
''लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर पर्वतारोहण शुरु नहीं किया था, मजेदार बात यह कि पति भी पर्वतारोही हैं शादी के वक्त उन्होंने पूछा था तुम्हें क्या चहिए? तो मैंने कहा था जो तुम करोगे, वही मैं भी करूंगी। वह माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके हैं मेरा बाकी था। एवरेस्ट फतह करने में उन्होंने मानसिक तौर पर मेरा पूरा सहयोग किया।'' -संगीता एस बहल, पर्वतारोही