Notification Icon
Hindi Newsएनसीआर न्यूज़mother want supreme court permission to adopt her son with new husband

वह तो देखने तक नहीं आया, अपने ही बेटे को गोद लेने SC क्यों पहुंची महिला

एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अपने ही बेटे को गोद लेने के लिए याचिका दाखिल की है। महिला का कहना है कि पूर्व पति उसे प्रेग्नेंसी में छोड़कर भाग गया था। एक बार भी उन्हें देखने के लिए नहीं आया।

Sneha Baluni लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 27 July 2024 05:41 AM
share Share

एक महिला अपने पहले पति से हुए बेटे को गोद लेना चाहती है। दोनों का तलाक हो चुका है और महिला ने दूसरी शादी कर ली है। बेटे को दूसरे पिता के साथ अपनाने के लिए उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महिला ने याचिका में मांग की है कि पहले विवाह से जन्मे बेटे को उसके बायोलॉजिकल (जैविक) पिता की सहमति के बिना गोद लेना चाहती है, जोकि हिंदू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट (एचएएमए) के तहत अनिवार्य है।

याचिकाकर्ता दिव्या ज्योति सिंह की ओर से पेश वकील वंशजा शुक्ला ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ के सामने अपनी आपबीती सुनाई, जिसने पूर्व पति को नोटिस जारी किया। महिला ने आरोप लगाया कि सितंबर 2015 में जब वह प्रेग्नेंसी की आखिरी स्टेज में थी, तब पति ने उसे छोड़ दिया और उसके भाई की पत्नी के साथ भाग गया।

महिला ने बताया कि पूर्व पति और उसके भाई की पत्नी उसके भाई की चार साल की बेटी के साथ रहने लगे। सिंह ने कहा कि अक्टूबर 2015 में उनके बेटे के जन्म के बाद वह व्यक्ति उनसे एक बार भी मिलने नहीं आया। दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ क्रॉस केस दायर करने के बाद, सितंबर 2016 में एक पारिवारिक अदालत ने आपसी सहमति से उन्हें तलाक दे दिया। 2018 में, उस व्यक्ति और सिंह की भाभी ने शादी कर ली और उनका एक बच्चा भी हुआ है।

शुक्ला ने बताया कि सिंह ने 2020 में दूसरी शादी की है। उन्होंने कहा, 'पुनर्विवाह का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि वह बच्चे को सामान्य और स्वस्थ परवरिश देना चाहती थीं।' सिंह ने एचएएमए की धारा 9(2) का पालन किए बिना सौतेले पिता के साथ अपने बेटे को गोद लेने की अदालत से अनुमति मांगी, जिसके तहत बच्चे को गोद देने के लिए बायोलॉजिकल पिता की सहमति लेना जरूरी है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'जब एचएएमए बायोलॉजिकल पिता की सहमति को जरूरी बनाता है, तो हम उसे बच्चे की कस्टडी छोड़ने के लिए कैसे मजबूर कर सकते हैं, जबकि मां को बच्चे की गार्जियनशिप सौंपी गई है। मामला चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो, हम (पूर्ववर्ती पति को) नोटिस जारी करेंगे।'

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें