खुलासा : 'दिल्ली के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों के पास फायर NOC नहीं'
राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) व सफदरजंग अस्पताल सहित राजधानी दिल्ली के अधिकांश बड़े अस्पतालों में वैध अनापत्ति प्रमाण पत्र ( फायर एनओसी) का अभाव है। यह बात दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के सूत्रों ने...
राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) व सफदरजंग अस्पताल सहित राजधानी दिल्ली के अधिकांश बड़े अस्पतालों में वैध अनापत्ति प्रमाण पत्र ( फायर एनओसी) का अभाव है। यह बात दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के सूत्रों ने कही।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शिक्षण और पीसी ब्लॉक में 17 अगस्त को हुए अग्निकांड के बाद प्रमुख अस्पतालों की जांच में एनओसी न होने का खुलासा हुआ है।
इन अस्पतालों के पास एनओसी नहीं
सूत्रों के अनुसार, आरएमएल में ट्रॉमा सेंटर, सफदरजंग अस्पताल में आपातकालीन ब्लॉक, लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एलएनजेपी) और जीबी पंत अस्पताल में आकस्मिक ब्लॉक के पास वैध फायर एनओसी नहीं थे।
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, एक अग्निशमन अधिकारी ने कहा कि जब कोई अस्पताल एनओसी के लिए आवेदन करता है, तो हमारे विभाग के लोग वहां जाते हैं और एनओसी देने के लिए मापदंडों की जांच करते हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो हम उन्हें कमियों के बारे में बताते हैं।
एम्स में दिखी थी ये दिक्कत
अधिकारी ने बताया कि जब एम्स में आग लगी थी, तब वहां भी अतिरिक्त पानी की आपूर्ति और हाइड्रेंट था, लेकिन बड़ी दमकल गाड़ियों के लिए छह मीटर की अनिवार्य सड़क न होने की वजह से गाड़ी प्रवेश नहीं कर सकी, सड़क के लिए इतनी जगह हर तरफ छोड़नी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया था।
अधिकारी ने कहा कि ऊंची इमारतों के लिए हर तरफ छह मीटर के सड़क के लिए जगह होना जरूरी है, ताकि बड़े दमकल गाड़ियों को अंदर ले जाया जा सके। एम्स में ऐसा न होने से हमें आग बुझाने में समय लगा। एम्स में आग बुझाने के लिए 30 दमकल गाड़ियों को लगाया गया था।
अग्निशमन विभाग के सूत्रों ने कहा कि वे अन्य अस्पतालों की स्थिति का जायजा के लिए रिकॉर्ड की जांच कर रहे थे। एक अग्निशमनकर्मी ने कहा कि यह यह शनिवार का दिन था जब एम्स में आग लगी और अच्छी बात तो यह रही कि यह मरीजों का ब्लॉक नहीं था। अगर यह दोपहर में होता या किसी अन्य ब्लॉक में होता तो स्थिति और कठिन और बदतर होती।