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बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार का बड़ा कदम, अब खिलौनों पर BIS मार्क लगाना होगा अनिवार्य

बच्चों के खिलौनों को लेकर अब माता-पिता को परेशान होने की जरूरत नहीं है। विदेश से आयात किए जाने वाले और देश में बनने वाले खिलौनों में इस्तेमाल किए जाने वाले खतरनाक रसायन बच्चों को नुकसान नहीं...

बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार का बड़ा कदम, अब खिलौनों पर BIS मार्क लगाना होगा अनिवार्य
नई दिल्ली। सुहेल हामिदMon, 27 Jul 2020 12:04 PM
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बच्चों के खिलौनों को लेकर अब माता-पिता को परेशान होने की जरूरत नहीं है। विदेश से आयात किए जाने वाले और देश में बनने वाले खिलौनों में इस्तेमाल किए जाने वाले खतरनाक रसायन बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। सरकार एक सितंबर से सभी तरह के खिलौनों के लिए गुणवत्ता के मानकों को अनिवार्य कर रही है। इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने मानकों के अनुरूप खिलौने बनाने वाली कंपनियों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। खिलौनों पर BIS मार्क लगाना भी अनिवार्य होगा। 

लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू :  बीआईएस ने खिलौना बनाने वाली कंपनियों को साधारण खिलौनों और बिजली से चलने वाले खिलौनों के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विदेशी कंपनी भी बीआईएस के मानकों के मुताबिक खिलौने बनाने के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकती हैं। एक सितंबर के बाद देश में आयात किए जाने वाले खिलौनों पर भी बीआईएस के मानक अनिवार्य होंगे। ऐसे में चीन से आयात किए जाने वाले खिलौनों पर लगाम कसी जा सकती है, क्योंकि चीन से बड़ी तादाद में खिलौने आयात किए जाते हैं। गुणवत्ता के मानकों का पालन कर बनाए जाने वाले खिलौनों पर बीआईएस मार्क लगाना भी अनिवार्य होगा। 

खतरनाक रसायनों का प्रयोग : देश में खिलौनों का कारोबार काफी बड़ा है। अधिकतर खिलौने चीन, थाईलैंड और फिलीपींस से आयात किए जाते हैं। आयात किए जाने वाले खिलौनों में 60 फीसदी हिस्सेदारी चीन की होती है। बीआईएस के मानक अनिवार्य होने के बाद विदेश से आयात किए जाने वाले खिलौनों को भी मानकों पर खरा उतरना होगा। अब तक खिलौनों के लिए गुणवत्ता के मानक अनिवार्य नहीं हैं। ऐसे में कई कंपनियां खिलौनों में खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल कर रही हैं। 

लचीले खिलौने पहुंचाते हैं नुकसान 

मुलायम और लचीले खिलौनों को लोग बेहतर समझकर खरीदते हैं, पर ये अधिक खतरनाक होते हैं। मुलायम प्लास्टिक से बने खिलौनों में 'थायलेट' पाया जाता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि थायलेट से बच्चों में कई तरह की बीमारियां होती हैं। इनमें किडनी और लीवर पर बुरा असर पड़ने के साथ बच्चों की हड्डियों के विकास में कमी आती है। आयात किए गए खिलौनों में आर्सेनिक, सीसा और पारा चिंताजनक स्तर से भी काफी अधिक पाया गया है।   

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