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आश्चर्य : अब सड़क पर लापरवाह ढंग से गाड़ी चलाने से रोकेगा मोबाइल ऐप

सड़क पर लापरवाह ढंग से गाड़ी चलाने के मामले में दुनिया के शीर्ष दस शहरों में से चार भारत के हैं। दिल्ली 11वें स्थान पर है। यह खुलासा इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) दिल्ली...

आश्चर्य : अब सड़क पर लापरवाह ढंग से गाड़ी चलाने से रोकेगा मोबाइल ऐप
नई दिल्ली | अभिनव उपाध्याय Sat, 28 Dec 2019 01:46 PM
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सड़क पर लापरवाह ढंग से गाड़ी चलाने के मामले में दुनिया के शीर्ष दस शहरों में से चार भारत के हैं। दिल्ली 11वें स्थान पर है। यह खुलासा इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईआईआईटी) दिल्ली की ओर से किए गए एक शोध में हुआ है।

ऐसे में आईआईआईटी की एक टीम वाहन चालकों को लापरवाह ढंग से गाड़ी चलाने (डिस्ट्रैक्टिड ड्राइविंग) से रोकने के लिए एक ऐप विकसित कर रही है। इस ऐप को विकसित करने का विचार उस शोध पत्र से आया है जिसे आईआईआईटी दिल्ली के प्राध्यापक पुन्नुरंगम कुमारगुरु सहित अन्य संस्थानों के शोधार्थियों ने लिखा है। शोधपत्र का शीर्षक ‘ड्राइविंग द लास्ट माइल : कैरेक्टराइजिंग एंड अंडरस्टैंडिंग डिस्ट्रैक्टिड ड्राइविंग पोस्ट ऑन सोशल मीडिया नेटवर्क' है। यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ वेब एंड सोशल मीडिया में प्रकाशित हुआ है।

क्या है डिस्ट्रैक्टिड ड्राइविंग

डिस्ट्रैक्टिड ड्राइविंग वह कोई भी गतिविधि है जो वाहन चालक का ध्यान ड्राइविंग से भटकाती है। जैसे वाहन चलाते समय फोन पर बात करना या संदेश भेजना, खाना या पीना, गाड़ी में मौजूद किसी व्यक्ति से बात करना आदि जो आपका ध्यान सावधानी से गाड़ी चलाने से हटाते हैं।

स्नैपचैट से आंकड़े लिए

इस शोध के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म स्नैपचैट से आंकड़े लिए गए हैं। शोध में सामने आया कि लापरवाह ढंग से गाड़ी चलाने के मामले सबसे अधिक शाम 6 से रात 2 बजे के बीच होते हैं। सामान्य की तुलना में शाम 6 से रात 2 बजे तक 73.51 फीसदी से अधिक पोस्ट सोशल मीडिया पर की गईं।

ऐसे काम करेगा

जब व्यक्ति ड्राइविंग करते हुए स्नैपचैट या अन्य सोशल मीडिया पर पोस्ट डालेगा तो ऐप उसे तुरंत रोकेगा। ऐप न चालक को डिस्ट्रैक्टिड ड्राइविंग से बचाएगा, बल्कि आसपास चलने वाली गाड़ियों को सूचित करेगा कि पास की गाड़ी का चालक लापरवाह ढंग से गाड़ी चला रहा है।

''यह ऐप आंकड़ों के विश्लेषण से तैयार किया जाएगा। देश-दुनिया से मिली जानकारियों को लेकर तैयार प्रणाली के माध्यम से यह काम करेगा। हमारा उद्देश्य है कि अगर सभी मोबाइल कंपनियां शुरू से ही यह ऐप अपने मोबाइल में इंस्टॉल कर ग्राहकों को दें तो लापरवाह ढंग से गाड़ी चलाने (डिस्ट्रैक्टिड ड्राइविंग) के मामले काफी हद तक रोके जा सकते हैं।'' -पुन्नुरंगम कुमारगुरु, प्राध्यापक, आईआईआईटी दिल्ली

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