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नाबालिग बेटी पिता को अंगदान नहीं कर सकती, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

जिंदगी और मौत से जूझ रहे अपने पिता को बचाने के लिए नाबालिग बेटी अंगदान नहीं कर सकती है, क्योंकि इससे उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को...

नाबालिग बेटी पिता को अंगदान नहीं कर सकती, दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश
नई दिल्ली | प्रमुख संवाददाताTue, 07 Apr 2020 02:11 PM
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जिंदगी और मौत से जूझ रहे अपने पिता को बचाने के लिए नाबालिग बेटी अंगदान नहीं कर सकती है, क्योंकि इससे उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया था कि ‘यदि नाबालिग अपना लिवर दान करती है तो उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जस्टिस संजीव सचदेवा ने नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन को अंशिता के पिता के स्वास्थ्य का आंकलन करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने ऑर्गनाइजेशन को जल्द से जल्द उनके लिवर का प्रत्यारोपण का प्रबंधन करने का निर्देश दिया है।

प्राथमिकता के आधार पर प्रत्यारोपण : न्यायालय ने कहा है कि यदि किसी मृत व्यक्ति का अंग मिलता है तो प्राथमिकता आधार पर प्रत्यारोपित किया जाए। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को इसके लिए अपने पिता के इलाज से जुड़े सभी दस्तावेज नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन को भेजने का निर्देश दिया है।

मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था

शुक्रवार को दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता नौशाद अहमद खान ने उच्च न्यायालय को बताया था कि मेडिकल बोर्ड ने कहा है कि याचिकाकर्ता यदि लिवर का दान करती है तो उसके जीवन पर कम समय या लंबे समय तक के लिए शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर रह सकता है। उच्च न्यायालय ने एक अप्रैल को पिता को अंगदान करने के लिए कानूनी लड़ रही अंशिता की मेडिकल जांच करने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन का आदेश दिया था।

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